अपनी कंपनी से जुड़ी बैठकों में भी शामिल होते थे पूर्व पुलिस आयुक्त पांडे

Disclosure in CBI FIR - Former Police Commissioner Pandey used to attend meetings related to his company
अपनी कंपनी से जुड़ी बैठकों में भी शामिल होते थे पूर्व पुलिस आयुक्त पांडे
 सीबीआई की FIR में खुलासा अपनी कंपनी से जुड़ी बैठकों में भी शामिल होते थे पूर्व पुलिस आयुक्त पांडे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) कर्मचारियों के फोन टैपिंग मामले में सीबीआई की जांच के घेरे में फंसे मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडे अपनी कंपनी आईसेक सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड के निदेशक पद से इस्तीफे के बाद भी खुद सक्रिय रुप से इसके कामकाज में शामिल थे। सीबीआई ने मामले में जो एफआईआर दर्ज की है उससे खुलासा हुआ है कि आईसेक और एनएसई के तत्कालीन अधिकारियों ने कंपनी को साइबर सुरक्षा के मूल्यांकन का ठेका देने के नाम पर 2009 में हुई बैठक में पांडे खुद पहुंचे थे। हालांकि वास्तव में यह ठेका एनएसई के कुछ अधिकारियों के फोन टैप करने का था। यही नहीं कंपनी के नाम पर 3 जून 2009 को जो वर्कऑर्डर जारी हुआ था उस पर भी ‘काइंड अटेंशन संजय पांडे’ लिखा हुआ था। 

आईपीएस से इस्तीफा नामंजूर होने के बाद कंपनी से दिया था इस्तीफा

बता दें कि पांडे ने आईपीएस सेवा से इस्तीफा देने के बाद 2001 में कंपनी स्थापित की थी लेकिन इस्तीफा नामंजूर होने के बाद साल 2006 में उन्होंने निदेशक पद छोड़ दिया था। सीबीआई को केंद्रीय गृह मंत्रालय से जो शिकायत मिली है उसके मुताबिक पांडे कंपनी से इस्तीफे के बावजूद कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर ठेके से जुड़ी बैठक में शामिल हुए और बातचीत की। इस बैठक में एनएसई के तत्कालीन एमडी रवि नरैन, डीएमडी चित्रा रामकृष्ण, उपाध्यक्ष रवि वारानसी, परिसर प्रमुख महेश हल्दीपुर शामिल थे। एनएसई के किन अधिकारियों के फोन रिकॉर्ड करने है इसकी जानकारी पांडे की कंपनी को दी गई थी।   

जो रिपोर्ट सौंपी उसमें साइबर सुरक्षा का जिक्र नहीं

सीबीआई की जांच में खुलासा हुआ है कि पांडे और उनकी कंपनी ने साइबर सुरक्षा की जांच के नाम पर ठेका लिया था लेकिन उन्होंने एनएसई अधिकारी रवि वारानसी को जो रिपोर्ट सौंपी उसमें साइबर सुरक्षा के बजाय कॉल लॉग से जुड़ी गोपनीय निगरानी रिपोर्ट थी। साथ ही रिकॉर्ड किए गए फोन की ट्रांसक्रिप्ट भी एनएसई अधिकारियों को सौंपी गई थी। 1 जनवरी 2009 से 13 फरवरी 2017 तक अवैध रुप से फोन रिकॉर्डिंग की गई। इसके लिए एक्सचेंज प्लाजा की सातवीं मंजिल पर मशीने लगाई गईं थीं। कुल चार मशीने लगीं थीं और एक मशीन की मदद से 30 लाइन रिकॉर्ड की जा सकती थीं। रिकॉर्डिंग के लिए इस्तेमाल की गई मशीन साल 2019 में एनएसई द्वारा ई कचरे के तौर पर बेंच दी गई। फोन रिकॉर्डिंग के लिए पांडे की कंपनी को 4 करोड़ 54 लाख रुपए का भुगतान किया गया। बता दें कि सीबीआई ने मामले में पांडे, उनकी मां संतोष पांडे, बेटे अरमान समेत 11 आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है। पांडे की कंपनी आईसेक और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भी जांच चल रही है। 

संजय पांडे से ईडी ने की पूछताछ

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लगातार दूसरे दिन मंगलवार को दिल्ली में संजय पांडे से मनी लांडरिंग के मामले में पूछताछ की है। इसके पहले सोमवार को सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियों ने पांडे से पूछताछ की थी। ईडी के दिल्ली स्थित कार्यालय में पांडे से पूछताछ की गई।  

मुख्यमंत्री से मिले पांडे

संजय पांडे ने मंगलवार को दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से भी मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक यह मुलाकात 15 मिनट तक चली। दोनों के बीच किस मुद्दे पर बातचीत हुई फिलहाल यह जानकारी सामने नहीं आई है। पांडे इसी साल 30 जून को मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।  


 

Created On :   19 July 2022 9:29 PM IST

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