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कान की बीमारी से 20 फीसदी होता है संक्रमण का खतरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शरीर में कान की हड्डी सबसे जटिल होती है और कान से संबंधित बीमारी से मस्तिष्क के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। जटिल हड्डी होने के कारण हम पहले उसका थ्रीडी बोन (हड्डी) बनाते हैं और उस पर उपचार करने के बाद फिर मरीज का उपचार करते हैं। इससे न सिर्फ ऑपरेशन करने का समय कम हो जाता है, बल्कि कॉम्प्लिकेशन की आशंका कम हो जाती है। यह बात नाक, कान एवं गला (ईएनटी) रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत नाईक ने कही। वह विगत दिवस टेम्पोरल बोन विच्छेदन पर आयोजित पहली वर्कशॉप में बोल रहे थे। कार्यशाला का आयोजन इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ओटोलॉजी नागपुर के तत्वावधान में किया गया।
थ्रीडी बोन पर कार्यशाला
उन्होंने बताया कि थ्रीडी बोन से मरीजों के अलावा डॉक्टरों को भी बहुत फायदा होता है। एक ओर मरीज का ऑपरेशन आसान हो जाता है तो वहीं दूसरी ओर डॉक्टर को थ्रीडी बोन पर प्रैक्टिस करने के लिए मिल जाती है। ऑपरेशन के समय आने वाली तकनीकि समस्याएं दूर हो जाती हैं क्योंकि ऑपरेशन की प्री-प्रैक्टिस में पता चल जाता है कि किस तरीके से ऑपरेशन करना होगा। विशेष बात यह है कि यह बोन देश में सिर्फ न्यू ओसा मेडिक्विप द्वारा बनाई जाती है। इस अवसर पर वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. सुभाष लुले ने कार्यशाला और आईएसओ के अध्यक्ष डॉ. अविनाश देशमुख ने मास्टोइड ऑपरेशन के महत्व को बताया। प्रशिक्षुओं को डॉ. राजेंद्र देशमुख व डॉ. सीमा नाईक के नेतृत्व में प्रशिक्षण दिया। इस अवसर पर पीयूष उके, डॉ. जीवन वेदी, डॉ. शशांक लुले, डॉ. रश्मि उद्दनवाडीकर ने भी अपने-अपने विचार प्रकट किए।
Created On :   24 Jun 2018 6:23 PM IST