जिले में उज्ज्वला योजना का बंटाधार, ग्रामीण क्षेत्र में फिर महिलाएं कर रहीं जंगल का रुख
डिजिटल डेस्क, वर्धा. केंद्र सरकार ने जोर-शोर से महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत 100 रुपए में गैस कनेक्शन मुहैया कराया था लेकिन कुछ ही दिनों में दैनिक उपयोग में अानेवाले सिलेंडर की कीमत हजारों में हो गई। सिलेंडर के बढ़ते दामों के कारण महिलाओं के सिर पर फिर से लकड़ियों के गट्ठे दिखाई देने लगे हैं। जलाऊ लकड़ी का खाना पकाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इस कारण धुएं से होनेवाली सांस की बीमारियों, वनों की कटाई जैसे कारणों से केंद्र सरकार ने उज्जवला योजना लाई। महिलाओं को गैस ग्रेट सहित सिलेंडर महज 100 रुपये में दिए गए। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं धुएं से मुक्त होने के कारण खुश थीं लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण उनकी यह खुशी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई।
उज्ज्वला योजना शुरू होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में मिलनेवाला केरोसिन बंद कर दिया गया। चूल्हे की जगह गैस ने ले ली। लेकिन सिलेंडर के दाम बढ़ने से अनेक जगहाें पर गैस बंद पड़े हुए है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में जलाऊ लकड़ी के लिए समझौता शुरू हो गया हैं। जंगल से लकड़ी जमा कर उसे मोड़ी बनाकर यातायात शुरू हो गया है। इसमें खास बात यह है कि, महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी शामिल हो गए हैं। वर्तमान में खेतों में पराली नहीं होने से बड़ी समस्या हो रही है। इस चलते इस स्थिति में जो मिले वह लकड़ी को जमा कर परिवार का भूख मिटाने का समय महिलाओं पर आ गया है।
अब केरोसीन भी मिलना बंद हो गया है। इस कारण अब फिर से महिलाओं को जंगल जाकर भटकते हुए लकड़ी लाकर भोजन तैयार करने का समय आ गया है। महंगाई ने आम लोगों की जेब में सेंध लगा दी हैं। और तो और एलपीजी गैस की कीमतों ने तो सारा बजट ही बिगाड़ कर रख दिया हैं। होली के पूर्व ही 50 रूपये प्रति सिलेंडर दाम बढ़ने से सिलेंडर को आम आदमी के बजट से बाहर कर दिया हैं।
Created On :   3 March 2023 8:23 PM IST