कच्छ के इस गांव में गरीबों का इलाज करने अमेरिका से आते हैं डॉक्टर

Doctors come from America to treat poor in this village of Kachh
कच्छ के इस गांव में गरीबों का इलाज करने अमेरिका से आते हैं डॉक्टर
कच्छ के इस गांव में गरीबों का इलाज करने अमेरिका से आते हैं डॉक्टर

डिजिटल डेस्क, मुंबई। गुजरात के भुज जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर स्थित कच्छ के एक गांव बिदड़ा में अमेरिका से आये डॉक्टरों के हाथों इलाज करा कर कमलेश पटेल काफी खुश हैं। पटेल की तरह हजारों मरीजो को यह खुशी हासिल हुई है। इस गांव में पिछले 46 वर्षों से लगने वाले चिकित्सा शिविर में अपनी सेवाएं देने के लिए अमरीका, यूरोप से डॉक्टर बिदड़ा गांव पहुचते हैं। बिदड़ा सर्वोदय ट्रस्ट द्वारा हर साल जनवरी के पहले सप्ताह से शुरु होने वाले इस शिविर में अब तक 50 लाख लोगों का मुफ्त इलाज हो चुका है।

कच्छ के इस छोटे से गांव में 1974 में पशुशाला में मेडिकल कैम्प की शुरुआत हुई थी। पर अब यहां पर 21 एकड़ में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्तपाल और दिव्यांग चिकित्सा केंद्र हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय छेड़ा बताते हैं कि हर साल शिविर पर खर्च होने वाली राशि का करीब 60 फीसदी हिस्सा अमेरिका से आता है। अनिवासी भारतीय छेडा कहते हैं कि हमारा उद्देश्य है कि ग्रामीणों को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके।

जड़ों से जुड़ने की चाहत
चिकित्सा शिविर में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका के अलावा मुंबई, अहमदाबाद से डाक्टर आते हैं। 22 दिन तक चलने वाले मेडिकल कैम्प में 22 तरह की बीमारियों का इलाज होता है। अमेरिका के लांस एजेंल्स में रहने वाले डा दिनेश शाह बताते हैं कि वे पिछले 25 वर्षों से इस चिकित्सा शिविर में अपनी सेवाएं देने आते हैं। डा भक्ति भाई मेहता, डा शांति केनिया व डा नितिन ऐसे डाक्टरों में से हैं जो वर्षों से हर साल इस शिविरि में अपनी सेवाएं देने अमेरिका से बिदड़ा पहुंचते हैं। अमेरिकी डाक्टर एसेज बोरोसान पिछले तीन वर्षों से इस शिविर के लिए आ रहे हैं। कैलिफोर्निया में रहने वाले डा केनिया कच्छ के ही रहने वाले हैं। वे कहते हैं कि अपनी जड़ों के जुड़े रहने की चाहत यहां तक खींच लाती है। 

इस साल मिशिगन विश्वविद्यालय के 6 सदस्यों की टीम भी इस चिकित्सा शिविर का अध्ययन करने बिदड़ा पहुंची। छेडा बताते हैं कि कच्छ के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार व नेपाल तक के मरीज इस शिविर में अपना इलाज कराने आते हैं और जिनका इलाज इस शिविर में नहीं हो पाता उन्हे संस्था इलाज के लिए मुंबई के बड़े अस्पतालों तक ले जाती है। मेडिकल कैम्प में आने के लिए जाति, धर्म, भाषा व प्रांत का कोई बंधन नहीं है।  

दिव्यांगों के लिए बना दिया रेलवे प्लेटफार्म-बस अड्डा
बिदडा सर्वोदय ट्रस्ट के रिहेब सेंटर ने ऐसे-ऐसे मरीजों को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद की है जिनको बड़े अस्पतालों के डाक्टरों ने जवाब दे दिया था। यहां दुर्घटनाओं की चलते विकलांग हो गए लोगों का धैर्य के साथ तकनीक से इलाज किया जाता है। विकलांगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सेंटर में रेलवे प्लेटफार्म, ट्रेन के कोच, बस अड्डा और बस की बॉडी बनाई गई है, जिससे विकलांगों को परिवहन के इन साधनों में बैठने का अभ्यास कराया जा सके।

इस सेंटर के संचालक डा लोक नाथन बताते हैं कि दुर्घटना के बाद मरीज अपना आत्मविश्वास खो देता है। उसका आत्मविश्वास बहाल करने के लिए इस तरह के उपाय किए जाते हैं। संस्था के अध्यक्ष छेड़ा बताते हैं कि यहां दिव्यांगों के लिए  प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। भविष्य की योजनाओं की बाबत छेड़ा कहते हैं कि अब हमें बच्चों को रोगों के प्रति जागरुक करना है। बच्चे ही देश के भविष्य हैं, वे बचपन से रोगों के प्रति जागरुक रहेंगे तो अपने साथ दूसरों को भी रोगों से दूर रख सकेंगे।  
 

Created On :   27 Jan 2020 6:18 PM IST

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