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भीषण गर्मी में पड़ सकती है दोहरी मार, जलसंकट के साथ बढ़ सकती है लोडशेडिंग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश में बिजली की मांग 20 हजार मेगावाट के ऊपर पहुंच चुकी है। साथ ही राज्य भीषण जलसंकट से गुजर रहा है। इसके चलते जल विद्युत संयंत्र बंद करने पड़ रहे हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा 22 सौ मेगावाट की क्षमता वाला जल विद्युत केंद्र कोयना बंद कर दिया गया है। हालांकि महावितरण का कहना है कि इससे प्रदेश की विद्युत आपूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दीर्घकालीन करार, नवीन व नवकरणीय विद्युत स्त्रोत एवं पारंपरिक विद्युत केंद्रों से आ रही बिजली के चलते प्रदेश में बिजली लोडशेडिंग की स्थिति निर्मित नहीं होने दी जाएगी। महावितरण का कहना है कि परली व एनटीपीसी के सोलापुर बिजलीघरों से 1144 मेगावाट बिजली मिल रही है, जो अतिरिक्त है। इसके अलावा पावर एक्सचेंज से भी बिजली की उपलब्धता हो रही है। इससे कोयना के बंद होने से भी प्रदेश में विद्युत संकट नहीं आएगा।
मानसून आने में लग सकता है वक्त
प्रदेश की मांग 20 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। मानसून का अभी ठिकाना नहीं है। केरल में 6 जून को पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में गर्मी के चलते बिजली की मांग में इजाफा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि गर्मी नहीं घटी तो पिछले सालों के अनुभव के अनुसार विद्युत मांग 22500 मेगावाट तक पहुंच सकती है। दूसरी तरफ वर्तमान में महावितरण को सभी स्रोतों से 15 हजार मेगावाट बिजली मिल रही है। इसके अलावा करीब 5 हजार मेगावाट बिजली केंद्र से प्राप्त हो रही है। यदि मांग में इजाफा हुआ तो लोडशेडिंग की तलवार लटक सकती है। हालांकि लोडशेडिंग श्रेणी के आधार पर होती है। इससे जी, जी1 श्रेणी के इलाके खासकर ग्रामीण इलाके बिजली कटौती की मार झेल सकते हैं।
सातारा सिंचाई विभाग से जलापूर्ति बंद
सतारा सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता ने 29 मई को पत्र लिखकर महावितरण को बताया कि कोयना बांध में पानी की उपलब्धता निम्नतर स्तर पर है। जो पानी बचा है उसे 15 जुलाई तक पीने के लिए आरक्षित किया गया है, इसलिए बिजली बनाने के लिए पानी की उपलब्धता नहीं हो सकेगी। उल्लेखनीय है कोयना बांध से महावितरण को 1 जून से 31 मई तक कोटा उपलब्ध कराया जाता है। बांध की कुल क्षमता 105 टीमएसी है, इसमें से 67.5 टीएमसी पानी बिजली बनाने के लिए आरक्षित होता है। इससे सालभर महाजेनको बिजली बनाती है।
Created On :   4 Jun 2019 9:36 AM GMT