सुप्रीम कोर्ट का फैसला न आने से असमंजस की स्थिति, जिंदा हैं दोनों गुटों के दावे

Due to the lack of Supreme Courts decision, situation of confusion
सुप्रीम कोर्ट का फैसला न आने से असमंजस की स्थिति, जिंदा हैं दोनों गुटों के दावे
विशेषज्ञों की अलग-अलग राय  सुप्रीम कोर्ट का फैसला न आने से असमंजस की स्थिति, जिंदा हैं दोनों गुटों के दावे

डिजिटल डेस्क, मुंबई, कृष्णा शुक्ला। महाराष्ट्र में सरकार के गठन व व्हिप को लेकर सुप्रीम कोर्ट में प्रलंबित याचिकाओं पर सोमवार को सर्वोच्च अदालत के फैसले से सारे संवैधानिक पेचों का सुलझना अपेक्षित था। किंतु फिलहाल ऐसा नहीं हुआ है। एक तरह से सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट व शिवसेना नेताओं की ओर दायर की गई याचिकाओं में किए गए दावों को जिंदा रखा है। यानी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक दोनों गुटों में मौजूद विधायकों पर अपात्रता की तलवार लटकती रहेगी। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की अपात्रता के मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष को कोई सुनवाई न करने को कहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि मौजूदा शिंदे सरकार का कामकाज संविधान के तय मानकों के अनुरुप है या नहीं? इस सवाल के जवाब में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति बीजी कोलसे पाटिल कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से नई सरकार के कामकाज में कोई रुकावट नहीं आएगी। क्योंकि उनके पास बहुमत है। इस मामले में जितना विलंब होगा उतना नई सरकार के लिए फायदेमंद होगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को काम करने से नहीं रोका है। रहीं बात दोनों गुटों के दावों के जिंदा रहने की है तो इससे कुछ बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यदि शुरुआत में ही अपात्रता के मामले का निपटारा करने के बाद बहुमत का आदेश देती तो बेहतर होता। उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट की मर्जी पर है वह चाहे तो एक माह में भी इस मामले की सुनवाई के लिए नई पीठ का गठन कर सकती है या फिर इसके लिए और समय ले सकती है। 

Supreme Court imposes ₹5k costs on petitioner who impleaded judge who  granted bail, filed Article 32 petition against bail order

वहीं इस बारे में राज्य के पूर्व महाधिवक्ता व संविधान विशेषज्ञ श्रीहरि अणे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बावजूद निश्चित तौर से मौजूदा सरकार टिकनेवाली है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में कितना समय लगेगा यह कोई नहीं जानता। सुप्रीम कोर्ट में जो मामला लंबित है उसका स्वरुप निजी झगड़े जैसा है और विधानसभा का आंतरिक मामला है जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश तलेकर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राज्य में अस्थिरता का माहौल रहेगा। क्योंकि जब तक विधायकों की पात्रता का प्रश्न तय नहीं होगा तब तक मंत्रिमंडल के गठन को लेकर असमंजस बना रहेगा। क्योंकि यह कोई नहीं जानता की कल को सुप्रीम कोर्ट क्या करेंगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक झगड़ों को कोर्ट में सुलझाने की बजाय राजनीतिक मंचों पर सुलझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकार को स्थिरता देनेवाला नहीं है। क्योंकि जब तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं होगा तब तक सिर्फ मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री ही काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान की स्थिति ऐसी है जैसे गाड़ी का पता नहीं है लेकिन घोड़े तैनात है। संविधान के जानकार अधिवक्ता सुरेश माने के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोई फैसला न देकर एक तरह से मामले में यथास्थिति को बरकरार रखा है। यानी सरकार का कामकाज चलता रहेगा। विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों की अपात्रता के बारे में सुनवाई न करने को कहकर दोनों दलों के दांवों को कायम रखा है। एक तरह से 60-40 की स्थिति है। जिसमें शिंदे गुट का पलड़ा भारी है क्योंकि वे सरकार में है। 


 

Created On :   11 July 2022 7:13 PM IST

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