यहां हर दिवाली बनाए जाते हैं किले, दूसरे दिन बम से उड़ा देते हैं

Each year fort made here on Diwali in Nagpur maharashtra
यहां हर दिवाली बनाए जाते हैं किले, दूसरे दिन बम से उड़ा देते हैं
यहां हर दिवाली बनाए जाते हैं किले, दूसरे दिन बम से उड़ा देते हैं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दिवाली के अवसर पर किला बनाने की परंपरा काफी पुरानी है। जैसे-जैसे दिवाली पास आ रही है उत्साह दिखाई दे रहा है। खासतौर पर इस अवसर पर आयोजित की जाने वाली शिव वैभव किला स्पर्धा के लिए। इसमें प्रतिभागियों द्वारा एक से बढ़कर एक किले बनाए जाते हैं। इस प्रतियोगिता के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है। एक समय था, जब हमारे पास केवल 6 स्पर्धक और 6 किले ही थे।

अब बढ़कर इनकी संख्या 80 हो गई है। हमारे किला स्पर्धा का यह सफर 31 साल पुराना है। यह कहना है स्पर्धा के आयोजक रमेश सातपुते का। उन्होंने बताया कि लोगों में इतिहास के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिता से बच्चों में मिट्टी की महक भी पहुंचती है।

बम से फोड़े जाते थे किले

सातपुते ने बताया कि राजस्थान में दिवाली के समय लगभग हर घर में किला बनाया जाता था और दिवाली के दूसरे दिन उसे बम लगाकर फोड़ा जाता था। उसी प्रथा को फॉलो करते हुए तथा सभी वर्गों में ऐतिहासिक जानकारी बढ़ाने के लिए हमने भी शहर में किला बनाना शुरू करवाया, पर इसे फोड़ने की परंपरा को नहीं माना, क्योंिक यह हमारे यहां एक स्पर्धा के रूप में होती है। इसका जजमेंट किया जाता है। हर बार इस किला स्पर्धा में प्रतिभागी भाग लेते हैं तथा एक से बढ़कर एक किले बनाते हैं।

मिट्टी व थर्माकोल के किले

जिस प्रतिभागी द्वारा किले बनाए जाते हैं, उसके लिए किसी भी तरह का बंधन नहीं होता है। वो अपने तरीके से किले बना सकते हैं। चाहे मिट्टी के किले हों या थर्माकोल के किले। इसके लिए एक महीने पहले से रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाते है। हर कोई इस स्पर्धा में भाग ले सकता है। इस प्रतियोगिता को तीन कैटेगरी में डिवाइड किया गया है, जिसमें शिव कला स्पर्धा, वैदर्भीय कला तथा काल्पनिक किला शामिल हैं। शिव किला स्पर्धा में शिवाजी महाराज के जो भी किले हैं, वैसे ही किले का निर्माण करना होता है। वैदर्भीय किले में विदर्भ में जितने भी किले हैं, उनको बनाया जाता है। काल्पनिक किले में कहीं के भी किले का निर्माण किया जा सकता है।

जागरूक करने के लिए शुरू हुए थे

स्थानीय निवासी रमेश सातपुते ने बताया है कि किला स्पर्धा का आयोजन आम जनता में अवेयरनेस बढ़ाने के लिए की है। किले आदि की जानकारी शायद ही किसी को होगी। हमें अपने इतिहास से हमेशा ही जुड़े रहना है साथ ही आगे की पीढ़ी को इन बातों की जानकारी देने के लिए इन परंपराओं को जागृत करना है। ज्यादातर यह देखा जाता है कि बच्चे इतिहास से दूर भागते हैं। ऐसी प्रतियोगिताओं से अवेयरनेस बढ़ेगी। आगे भी किला स्पर्धा की परंपरा बनी रहेगी।

Created On :   12 Oct 2017 11:50 AM GMT

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