शिक्षा में उच्च पदों पर शिक्षाविदों की हो नियुक्ति : डॉ. रविन्द्र कान्हेरे

Educationists should be appointed on higher posts in education: Dr. Ravindra Kanhere
शिक्षा में उच्च पदों पर शिक्षाविदों की हो नियुक्ति : डॉ. रविन्द्र कान्हेरे
मध्य प्रदेश शिक्षा में उच्च पदों पर शिक्षाविदों की हो नियुक्ति : डॉ. रविन्द्र कान्हेरे

भास्कर ब्यूरो, भोपाल। डॉ. रविन्द्र कान्हेरे, अध्यक्ष प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष ने उच्च शिक्षा में भारतीय दृष्टि पर अपने विचार प्रकट किए। डॉ. कान्हेरे ने कहा कि हमारी आज की जो शिक्षा व्यवस्था है, वो अंग्रेजों द्वारा लागू की गई शिक्षा प्रणाली पर आधारित है। उन्होंने शिक्षा में उच्च पदों पर शिक्षाविदों की नियुक्ति का समर्थन किया।

प्रज्ञाप्रवाह द्वारा शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई कन्या महाविधालय, भोपाल में स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में मातृभाषा के प्रयोग का समर्थन किया एवं जर्मनी का उदाहरण देते हुए उनके द्वारा किये जाने वाले रिसर्च के अनुवाद पर उनकी सराहना की एवं प्रेरणा लेने की सलाह दी।

अशोक पाण्डे, पूर्व न्यायाधीश तथा अध्यक्ष, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपने उद्बोधन में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का इतिहास सांझा करते हुए कहा कि इनमे नील और हेवलॉक नामक द्वीप भी शामिल थे। हेवलॉक और नील कौन थे? 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ तो क्रांतिकारियों का दमन करने के लिए हैवलाक सेना लेकर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से कानपुर की ओर चला। उन्हांेने बताया कि 17 जुलाई 1857 को कानपुर पर कब्जा कर लिया। इस दौरान उसने क्रांतिकारियों का चुन-चुनकर दमन किया। नील बनारस से इलाहाबाद तक गावों को जलाता गया। जब फांसी के तख्ते कम पड़े तो पेड़ो की शाखाओं पर हाथी से लटकाया जाने लगा। लाशे लटकी रहीं, कंकाल लटके रहे। उनके द्वारा इस बात पर जोर दिया गया कि शिक्षा पाठ्यक्रम में इतिहास के इन पन्नों को भी पढ़ाया जाना चाहिए।

इस आयोजन में चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा, शालेय शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा में भारतीय दृष्टि पर इन क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में लाजपत आहूजा, पूर्व संचालक, जनसंपर्क विभाग द्वारा स्वागत एवं अतिथि परिचय दिया गया । इसके पश्चात डॉ. अशोक वार्ष्णेय, अखिल भारतीय संगठन मंत्री, आरोग्य भारती द्वारा चिकित्सा शिक्षा में भारतीय दृष्टि पर श्रोताओं से अपने विचार संझा किये, जिसमे मुख्य रूप से स्वास्थय को सम्पूर्णता में देखने एवं लोक जागरूकता का आह्वान किया। उन्होंने चिकित्सा की विभिन्न पद्दतियों जैसे आयुर्वेद, होमियोपैथी इत्यादि के समन्वय न कि प्रतियोगिता, पर जोर दिया। उन्होंने चिकित्सा में फैमिली हिस्ट्री के अनुसार इलाज पर जोर दिया।

Created On :   27 Jan 2023 1:21 PM GMT

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