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सूरज की तपन : महाराष्ट्र में लू से मरने वालों की संख्या बढ़ी

सुनील निमसरकर, नागपुर। महाराष्ट्र में लू (हीट वेव) के मामले और इसकी चपेट में आकर होने वाली मौतों की संख्या पिछले पांच सालों में तेजी से बढ़ी है। पिछले पांच सालों में प्रदेश में लू के मामलों की संख्या 30 गुना से भी अधिक बढ़ गई है। इसका नतीजा यह है कि राज्य में वर्ष 2013 से मार्च 2017 तक लू से मरने वालों की संख्या 3 से बढ़कर 114 हो गई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के आंकडों के अनुसार 1970 से लेकर 1999 तक महाराष्ट्र में हीट वेव के मामलों की औसत संख्या जहां 29 थी, वहीं 2000 से 2017 के बीच यह आंकड़ा लगभग बढ़कर दोगुना यानी 58 हो गया है। वहीं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMए) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में लू से वर्ष 2013 में 3, 2014 में 36, 2015 में 23, 2016 में 43 और लोकसभा में एक सवाल के जवाब में 2017 में (22 मार्च तक) 9 लोगों की मौत हुई है।
NDM के अनुसार महाराष्ट्र विशेष रुप से विदर्भ अन्य राज्य ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुकाबले सबसे अधिक प्रभावित है। बीते माह लू के प्रकोप से निपटने के लिए इन तीन सबसे प्रभावित राज्यों के लिए NDM ने नए दिशा-निर्देश जारी किए है। इसके तहत विभिन्न संचार माध्यमों के जरिए दिन में पांच बार मौसम के पूर्वानुमान की घोषणा की जाएगी। देशभर के 14 शहरों में हीट वेव इंडिकेटर लगाए गए है, जिसमें महाराष्ट्र के नागपुर, औरंगाबाद और मुंबई शामिल है। इसी तरह के इंडिकेटर विदर्भ के अन्य जिलों में भी लगाए जाने की तैयारी है। NDM के सलाहकार अनुप श्रीवास्तव ने बताया कि विदर्भ में पिछले तीन साल से लगातार बढ रहे लू के प्रकोप को देखते हुए प्राधिकरण की ओर से यहां लू के आसन्न दुष्प्रभाव को रोकने तथा निपटने के लिए 3 अप्रैल को एक विशेष कार्यबल की व्यवस्था की है। यह कार्यबल हीट वेव के समय लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरुक करेगा।
महाराष्ट्र में हीट वेव से होने वाली मौतों के दर्ज किए जा रहे आंकडे के बारे में पूछे जाने पर उन्होने कहा कि महाराष्ट्र सहित विदर्भ में हीट वेव (लू) से संबंधित जितने भी आंकडे आते है, वह दूसरे राज्यों के मुकाबले सौ फीसदी सही सिद्ध होते है। क्योंकि NDMए द्वारा किए गए प्रति-परीक्षण में यह सही सिद्ध हुए है। वहीं आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा सहित अन्य राज्य मुआवजा प्राप्त करने के उद्देश से इसके बारे में गलत आंकडे पेश करते है। इसलिए हमने ग्रामीण और शहरी स्तर से लू से मरने वालों के आंकडे जुटाने के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया है। उल्लेखनीय है कि सरकार लू को प्राकृतिक आपदा नही मानती, लेकिन वित्त आयोग ने विशेष परिस्थितियों में हीट वेव से मरने वालों के परिवारों के लिए मुआवजे की व्यवस्था की है।
पर्यावरण, विकास, स्वास्थ्य और विज्ञान से जुड़े मुद्दे पर केन्द्रित डाउन टू अर्थ पत्रिका के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा के अनुसार हीट वेव में लगातार इजाफा हो रहा है। यह कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन की ओर संकेत करता है। भारत का मौसम दिन ब दिन अति होते जा रहा है। यह भी जलवायु परिवर्तन के कारण ही हो रहा है। कानपुर आईआईटी के सेंटर फॉर इनवायरमेंट साइंस एन्ड इंजिनियरिंग विभाग के प्रोफेसर साची त्रिपाठी के अनुसार जलवायु परिवर्तन क्या है। वास्तव में यह एक एनर्जी बैलेंस है। वह बैलेंस अब धिरे-धिरे हट रहा है।
पहले पृथ्वी में जितनी ऊर्जा आती थी, उतनी ही वापस जाती थी। इसके कारण हमारा वैश्विक तापमान संतुलित बना रहता था, लेकिन पिछले तीन दशकों में कार्बन डायऑक्साइड वातावरण में बढने के कारण एनर्जी बैलेंस दूसरी दिशा की ओर चला गया है। इसके कारण हमारे वातावरण में एनर्जी बढ गई है। इसका नतीजा वैश्विक तापमान में वृद्धि हो गई है। जैसे उदाहरण के लिए पूरी दुनिया में औसत तापमान 1 डिग्री बढा है। अगर दिल्ली का तापमान 39 डिग्री सेलसियस है तो ऐसी स्थिति में वैश्विक तापमान का अतिरिक्त तापमान इसमें जुडकर 40 डिग्री हो जाता है। ऐसे में हीट वेव की स्थिति पैदा होती है।
Created On :   22 May 2018 8:21 PM IST