निर्वाचन आयोग से एकनाथ शिंदे धड़े को मिली असली शिवसेना के रूप में मान्यता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । निर्वाचन आयोग यानी ईसी ने महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे धड़े को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी है। आयोग ने कहा कि पार्टी का चुनाव चिह्न तीर-कमान और नाम शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा। आपको बतादें शिवसेना के दोनों गुट (एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे) धनुष और तीर के निशान के लिए लड़ रहे हैं।
पिछले साल अक्टूबर को उपचुनावों से पहले चुनाव आयोग ने उद्धव और शिंदे गुट को नया नाम सौंपा दिया था। आयोग ने उद्धव गुट को नाम के रूप में शिवसेना- उद्धव बालासाहेब ठाकरे दिया था। निशान के तौर पर उद्धव को जलती मशाल का निशान मिला था। आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट के लिए 'बालासाहेबंची शिवसेना' नाम आवंटित किया था। चुनाव चिन्ह के तौर पर शिंदे को तलवार-ढाल का निशाना मिला था।
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री की कुर्सी जाएगी या बचेगी इसको लेकर सुप्रीम फैसला जो भी आए, लेकिन शिंदे ने शिवसेना नाम और उसके चुनाव चिन्ह के अधिकार की लड़ाई जीत ली है। उद्धव ठाकरे को अपनी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दोनों खोना पड़ा है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दे दी है। साथ ही पार्टी का चुनाव चिन्ह धनुष-बाण भी दे दिया है।
इसके साथ ही आयोग ने 10 अक्टूबर 2022 को अपने अंतरिम आदेश के तहत शिंदे गुट को अलॉट किए बाळासाहेबांची शिवसेना और दो तलवार और ढाल चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया है। हालांकि आयोग ने ठाकरे को राज्य में विधानसभा की दो (कस्बा पेठ और चिंचवड) सीटों के उपचुनाव होने तक अलॉट किए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और चुनाव चिन्ह जलती मशाल का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है।
एआईएडीएमके विवाद, समाजवादी पार्टी विवाद, जनता दल (यूनाइटेड) और केरल कांग्रेस (एम) विवाद में विधान परिषद और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या बल को महत्व दिए जाने से असहमति जताई है। आयोग ने लोकसभा और विधानसभा में शिंदे और ठाकरे गुट के संख्या बल को आधार बनाया है। शिंदे गुट के पक्ष में 55 में से 44 विधायक और लोकसभा में 19 में से 13 सांसद है। वहीं विधान परिषद और राज्यसभा में शिंदे गुट की सदस्य संख्या शून्य है।
आयोग ने फैसले में कहा है कि राजनीतिक दल के नाम और चुनाव चिन्ह के विवाद में विधानसभा और लोकसभा में दोनों गुटों के सदस्य संख्या और मत प्रतिशत ही निर्णायक है। क्योंकि, राजनीतिक दल और चुनाव चिन्ह के फैसले में विधान परिषद और राज्यसभा की सदस्य संख्या को आधार नहीं बनाया जा सकता है। आयोग ने अपने फैसले में पार्टी की संगठनात्मक ढांचे और विधायक दल की स्थिति का भी आकलन किया है। आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दल के पंजीकरण के लिए संगठनात्मक ढांचा प्राथमिक बिंदु है और मान्यता के लिए चुनावी प्रदर्शन महत्वपूर्ण है।
आयोग ने अपने आदेश में उद्धव ठाकरे गुट की पार्टी के संविधान को अलोकतांत्रिक बताया है। वहीं शिंदे गुट को शिवसेना के 2018 को बनाए गए पार्टी के संविधान में जनप्रतिनिधि कानून की धारा 29 ए के तहत बदलाव करने और आंतरिक लोकतंत्र कायम करने का निर्देश दिया है।
Created On :   17 Feb 2023 8:34 PM IST