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चुनावी खर्च की सीमा तय : नॉनवेज थाली 200 और वेजिटेरियन 100 रुपए फिक्स
डिजिटल डेस्क, नागपुर। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा तय कर दी है। एक उम्मीदवार 70 लाख तक खर्च कर सकता है। चुनाव आयोग ने जो रेट तय किए है, उसके मुताबिक एक व्यक्ति के लिए एक समय का मांसाहारी भोजन 200 रुपए व शाकाहारी भोजन का रेट 100 रुपए तय किया है। चुनाव आयोग उम्मीदवारों के खर्चे पर पैनी नजर रख रहा है। मंडप, डेकोरेशन, बैनर, पोस्टर, पाम्प्लेट, बैंड, टीवी, ट्यूबलाइट, पलंग, जीप, कार, लाउडस्पीकर, चाय, काफी, लस्सी समेत पलंग व भोजन के रेट तय कर दिए है। उम्मीदवार को इसी के दायरे में रहकर खर्च का ब्यौरा जिला निर्वाचन कार्यालय में पेश करना है। जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से उम्मीदवारों को ये रेट चार्ट दिया गया है। चुनाव आयोग ने जो रेट चार्ट तय किया है, उसके मुताबिक एक व्यक्ति का एक समय का मांसाहारी भोजन 200 रुपए है। इसीतरह शाकारी भोजन की थाली 100 रुपए की है। पलंग के साथ बेडशीट व तकीया का शुल्क केवल 10 रुपए तय किया गया है। एक कप कॉफी का शुल्क 12 रुपए रखा गया है। एक कप चाय 7 रुपए की होगी। एक ग्लास लस्सी 20 रुपए व एक बोतल कोल्ड ड्रींक 20 रुपए है। कुलर का एक दिन का किराया 379 रुपए है। प्रति व्यक्ति स्नैक्स 25 रुपए लगेगा। एक ड्राइवर का चार्ज 450 रुपए है। एक कमरे (10 फूट बाय 10 फूट) का एक महीने का आफिस किराया 3500 रुपए लगेगा। ट्यूबलाइट का हर दिन का शुल्क 39 रुपए है। 1000 वैट व 500 वैट का हैलोजन का शुल्क प्रति दिन 210 रुपए तय किया गया है।
टारगेट से काफी कम हो रहा स्टे एक्साइज का राजस्व
इसके अलावा राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व बिक्री कर विभाग से मिलता है और उसके बाद राजस्व व स्टेट एक्साइज विभाग से राजस्व की प्राप्ति होती है। इन विभागों से मिलनेवाले राजस्व से ही सरकार की परियोजनाएं परवान चढ़ती है। 2016 व 2018 में स्टेट एक्साइज नागपुर अपने टारगेट को पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है। 2018 में स्टेट एक्साइज ने 9 महीने में केवल 303.38 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया, जो कुल टारगेट के केवल 40 फीसदी ही है। शराब पर लगनेवाले टैक्स को एक्साइज ड्यूटी कहा जाता है। राज्य सरकार की योजनाओं व परियोजनाओं को परवान चढ़ाने के लिए निधि की जरूरत होती है और यह निधि बिक्री कर, राजस्व विभाग व स्टेट एक्साइज से राजस्व के रूप में मिलती है। वैसे तो दर्जनों विभागों से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है, लेकिन ये तीन विभाग राजस्व प्राप्ति के लिए सबसे अहम है। आरटीआई में खुलासा हुआ कि राज्य सरकार ने 2016-17 में एक्साइज ड्यूटी के रूप में 777.11 करोड़ का टारगेट रखा, जो पूरा नहीं हो सका। 521.5 करोड़ राजस्व मिला, जो टारगेट का 67.11 फीसदी है। राजस्व प्राप्ति के इस बुरे अनुभव को देखते हुए 2017-18 में टारगेट घटाकर 608.59 कर दिया गया था। हालांकि इस साल 660.53 करोड़ राजस्व मिला, जो टारगेट से ज्यादा रहा। टारगेट कम करने से लक्ष्य पूरा हो सका। इसके अलावा 2018-19 में 753.18 करोड़ राजस्व प्राप्ति का टारगेट रखा था, लेकिन पहले 9 महीने में केवल 303.28 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हुआ। भले ही यह 9 महीने का ही राजस्व रहा, लेकिन 9 महीने में 50 फीसदी टारगेट भी पूरा नहीं होना गंभीर बात है। 9 महीने का औसत निकाला जाए तो 40.28 फीसदी राजस्व प्राप्त हुआ। चोरी छिपे बिकनेवाली शराब से भी स्टेट एक्साइज के राजस्व पर परिणाम होता है। शराबियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बावजूद इसके राजस्व में कमी समझ से परे है। इसकी एक मुख्य वजह यह है कि पडोसी राज्य से चोरी छिपे शहर में आनेवाली शराब है। पडोसी राज्यों से चोरी छिपे आनेवाली शराब से स्टेट एक्साइज को राजस्व के बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ती है। नागपुर से सटे वर्धा, गडचिरोली व चंद्रपुर जिले में शराब बंदी है। इन जिलों में नागपुर से होकर ही चोरी छिपे शराब पहुंचती है। आरपीएफ व रेलवे पुलिस की कार्रवाई पर नजर डाले तो हर दिन ट्रेन से शराब जब्त हो रही है।
Created On :   24 March 2019 7:12 PM IST