बिजली के दाम नहीं बढ़े तो एफसीए के सहारे उपभोक्ताओं से पैसा लेने की तैयारी

Electric department is planning to take consumers money in new way
बिजली के दाम नहीं बढ़े तो एफसीए के सहारे उपभोक्ताओं से पैसा लेने की तैयारी
बिजली के दाम नहीं बढ़े तो एफसीए के सहारे उपभोक्ताओं से पैसा लेने की तैयारी

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। एक तरफ आचार संहिता को देखते अप्रैल माह से विद्युत दरों में बढ़ोत्तरी नहीं किए जाने की बात कहीं जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर पावर मैनेजमेंट कंपनी भेजे गए प्रस्ताव पर मप्र विद्युत नियामक आयोग ने फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट (एफसीए) की दर 18 पैसे प्रति यूनिट करने को मंजूरी दे दी गई है। इसका सीधा मतलब यह लगाया जा रहा है कि जब टैरिफ फाइनल न होने से बिजली के रेट बढ़ाने में सफलता नहीं मिली तो अब एफसीए के माध्यम से विद्युत उपभोक्ताओं की जेब खाली करने का नया तरीका निकाला गया है। कंपनी की नजर में भलें ही पिछली तिमाही की तुलना में 1 पैसे की बढ़ोत्तरी कही जा रही है। मगर पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में यह दर माइनस 3 पैसे रही है। अभी शुरूआती दिनों में ही 18 पैसे की दर निर्धारित की गई, जो एफसीए की नई दर 1 अप्रैल से 30 जून की तिमाही के लिए लागू रहेगी। अभी पूरा साल बाकी है, जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में यह दर 25 से 30 पैसे बढऩे से इंकार नहीं किया जा सकता है।

गर्मी की खपत में उपभोक्ता को लगेगा दाम का करंट
जानकारों की मानें तो चुनाव आचार संहिता लगने से प्रत्यक्ष रूप से बिजली की दरों में वृद्धि संभव नहीं हो सकी थी। इस कारण पिछले दरवाजे से विद्युत कंपनी ने उपभोक्ताओं की जेब काटने की तैयारी कर ली है। खासकर गर्मी में जब बिजली की खपत काफी बढ़ जाती है ऐसे में उपभोक्ताओं को बिजली के दाम का जोरदार करंट लगने वाला है। यह बात स्पष्ट है कि गर्मी के दिनों में घरों में एसी, कूलर व फ्रिज का उपयोग बढ़ता है ऐसे में सामान्य दिनों की अपेक्षा गर्मी में खपत दो से तीन गुना तक बढ़ती है, जिससे बिलों में अभी भी काफी इजाफा हो जाता है। इन्हीं दिनो में सामान्य विद्युत उपभोक्ता हाई स्लैब की श्रेणी में आ जाता है, ऐसी स्थिति में एफसीए की दर में प्रति यूनिट 18 पैसे की वृद्धि उपभोक्ताओं को जोरदार झटका देने वाला है।

घाटा पूरा करने नया फंडा
सूत्रों का कहना है कि उपभोक्ताओं को लिए समय-समय पर कोई न कोई योजना की घोषणा की जा रही है, जिससे कंपनी को घाटा भी हो रहा है। अब जबकि विद्युत के रेट नहीं बढ़ सके है तो कंपनी के सामने योजना के क्रियान्वयन के साथ ही घाटा पूरा करने की समस्या उत्पन्न हो रही है। ऐसी स्थिति में फिलहाल एक ही रास्ता बचता है एफसीए का। नई एफसीए दर लागू होने के बाद अगर कोई उपभोक्ता 100 यूनिट बिजली की खपत करता है, तो उसे 18 रुपए एफसीए देना होगा।

2018-19 में ऐसा रहा एफसीए
- पहली तिमाही अप्रैल से जून:            3 पैसे,
- दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर:           2 पैसे,
- तीसरी तिमाही अक्टॅूबर से दिसंबर:        19 पैसे,
- चौथी तिमाही जनवरी से मार्च:             17 पैसे,
- इस वित्तीय वर्ष पहली तिमाही में ही:        18 पैसे से शुरूआत

Created On :   3 April 2019 8:57 AM GMT

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