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राज्य को अंधेरे में नहीं जाने दिया जाएगा, केन्द्र को याद दिलाया जीएसटी के 30 हजार करोड़ बकाया
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के ऊर्जा विभाग की तीनों बिजली कंपनियों के बकाया और कर्ज के बोझ को लेकर गहरी चिंता जताई है। राज्य में महावितरण कंपनी के बिजली बिल का 73 हजार 879 करोड़ रुपए बकाया है। जबकि महावितरण पर 45 हजार 440 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को अंधेरे में नहीं जाने दिया जाएगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री समेत कई मंत्रियों की मौजूदगी में महावितरण कंपनी की आर्थिक स्थिति के बारे में प्रेजेंटेशन दिया गया। जबकि महापारेषण और महानिर्मिति कंपनी का प्रेजेंटेशन आगामी समय में होगा। राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में बैठक में केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार महावितरण कंपनी के बकाया और पुनर्रचना करने के बारे में चर्चा हुई। मुख्यमंत्री समेत कई मंत्रियों ने यह आशंका जताई कि बिजली कंपनियों के बकाया राशि को गंभीरता से नहीं लिया गया तो राज्य अंधेरे में चला जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार तीनों कंपनियों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए गंभीर है। तीनों बिजली कंपनियों के प्रेजेंटेशन के बाद आर्थिक संकट से निपटने के लिए उचित फैसला लिया जाएगा।
महावितरण का होगा विभाजन
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री नितीन राऊत ने कहा कि महावितरण कंपनियों को मुनाफे में लाने के लिए गुजरात के तर्ज पर महावितरण कंपनी का चार विभागीय उप कंपनियों में विभाजन करने का विचार है। राऊत ने कहा कि महावितरण के विकेंद्रीकरण और पुनर्गठन सहित विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दर्जे का सलाहकार नियुक्त किया जाएगा। गुजरात के मॉडल का भी अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद इससे संबंधी रिपोर्ट राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखी जाएगी। फिर मंत्रिमंडल की सहमति से उचित फैसला लिया जाएगा।
महावितरण पर बकाया का बोझ
महावितरण कंपनी का फिलहाल 73 हजार 879 करोड़ रुपए बिजली बिल बकाया है। अगस्त 2021 तक महावितरण पर 45 हजार 440 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। महावितरण पर महानिर्मिति, महापारेषण, अपांरपारिक बिजली आपूर्ति समेत अन्य कंपनियों की 13 हजार 342 करोड़ रुपए की देनदारी है।
कृषि पंपों का 49 हजार 575 करोड़ रुपए का बकाया
महावितरण का कृषि पंपों के ग्राहकों का साल 2021-22 में 49 हजार 575 करोड़ रुपए का बकाया है। राज्य में सबसे अधिक बकाया कृषि पंपों के ग्राहकों का है। जबकि कृषि पंपों के ग्राहकों के बकाया बिल वसूली का प्रमाण केवल 3.1 प्रतिशत है। जबकि पथदीप ग्राहकों के पास बिजली बिल का चालू आर्थिक वर्ष में 6 हजार 199 करोड़ रुपए का बकाया है। जबकि बिजली बिल वसूली का प्रमाण 22.8 प्रतिशत है। वहीं सार्वजनिक जलापूर्ति योजना का चालू वित्तीय वर्ष में 2248 करोड़ रुपए की वसूली बाकी है। जबकि जलापूर्ति योजनाओं के बिजली बिल वसूली का प्रमाण 67.1 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने जीएसटी के 30 हजार करोड़ के बकाए को दिलाया याद
वहीं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नीति आयोग के सामने केंद्र सरकार के पास महाराष्ट्र के जीएसटी के 30 हजार करोड़ रुपए के बकाए की ओर ध्यान आकर्षित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में जीएसटी बकाया राशि 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर सेस लगाने से केंद्र सरकार को राजस्व का फायदा हुआ। लेकिन महाराष्ट्र को उसका कोई लाभ नहीं हो पाया। मंगलवार को राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में नीति आयोग के सदस्यों की बैठक हुई। इसमें नागपुर मेट्रो रेलवे का विस्तार, नाशिक मेट्रो नियो परियोजना, शेंद्रा बिडकीन औद्योगिक परिसर समेत राज्य के विभिन्न 41 मुद्दों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र को देश में प्रथम क्रमांक पर लाने के लिए नीति आयोग के साथ उत्तम समन्वय स्थापित करके कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा कंपनियां काफी मुनाफा कमा रही हैं। इस पर नीति आयोग को गंभीरता से विकल्प की तलाश करनी चाहिए। इस पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने कहा कि फसल बीमा योजना को लेकर सभी राज्यों से शिकायतें मिल रही हैं। इस पर जल्द ही किसानों के फायदा की दृष्टि से विकल्पों पर विचार किया जाएगा। इस बैठक में नीति आयोग ने राज्य सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति और कोरोना से निपटने के लिए किए गए प्रयासों की प्रशंसा की।
Created On :   14 Sept 2021 8:42 PM IST