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काम का बोझ झेल रहे मनपा कर्मचारी ले रहे VRS, बढ़ रही रिक्त पदों की संख्या

डिजिटल डेस्क, नागपुर। काम का बोझ झेल रहे मनपा कर्मचारी अब VRS लेने लगे हैं जिससे मनपा पर आर्थिक संकट के बीच एक और संकट गहरा गया है। हर महीने अधिकारी, कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद मनपा में अधिकारी-कर्मचारियों के रिक्त पदों का बड़ा बैकलॉग तैयार हो गया है। ऐसे में अधिकारी, कर्मचारियों पर अतिरिक्त जिम्मेदारियां डाल दी गई हैं। राजनीतिक दबाव अलग है। कोई इसे संभालने में सक्षम है, तो किसी से संभले नहीं संभल रहा। इससे अधिकारियों पर काम का बोझ और तनाव साफ दिख रहा है। अनेकों ने हिम्मत हार ली है।
तनाव और बोझ से बचने अब अधिकारियों ने स्वेच्छानिवृत्ति (वीआरएस) का रास्ता अपना लिया है। मनपा के स्वच्छता अधिकारी डॉ. प्रदीप दासरवार और जलप्रदाय विभाग के कार्यकारी अभियंता संजय गायकवाड़ ने मनपा आयुक्त को VRS का आवेदन दिया है। संजय गायकवाड़ का आवेदन पहले मिलने से स्वीकृत हो गया है। वे एक अगस्त को रिटायर हो रहे हैं। प्रदीप दासरवार का आवेदन विचाराधीन है। इस पर अभी आयुक्त ने कोई फैसला नहीं लिया है। आने वाले दिनों में कुछ और बड़े अधिकारियों के नाम VRS की सूची में शामिल हो सकते हैं।
जारी है सेवानिवृत्ति का दौर
मनपा आस्थापना में विविध संवर्ग के 11 हजार 600 पद मंजूर हैं, जिसमें से क्लास-1 से लेकर क्लास फोर के करीब 3200 पद रिक्त हैं। इसमें करीब 100 क्लास-1 और 2 के हैं, जबकि क्लास-3 और 4 के करीब 3 हजार पद रिक्त पड़े हैं। रिक्त पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर महीने अधिकारी, कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन पद भर्ती नहीं होने से हर बड़े अधिकारी के पास काम का दोहरा प्रभार है। हालात ये हैं कि अनेक अधिकारियों को सेवानिवृत्त के बाद ठेका पद्धति पर भी रखा गया है।
स्मार्ट सिटी के सीईओ रामनाथ सोनवणे व तकनीकी सलाहकार विजय बनगीनवार सेवानिवृत्त के बाद ठेके पर हैं। इसके पहले जलप्रदाय विभाग के कार्यकारी अभियंता शशिकांत हस्तक और स्मार्ट सिटी का जिम्मा संभाल रहे महेश गुप्ता ने VRS लिया था। अब डॉ. दासरवार और संजय गायकवाड़ ने यह रास्ता चुना है। प्रदीप दासरवार, वैद्यकीय विभाग से हैं, लेकिन उन पर स्वास्थ्य विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया है। कई वर्ष से दोहरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
मनपा की बढ़ेंगी दिक्कतें
स्मार्ट सिटी प्रतिस्पर्धा के कारण स्वच्छता विभाग पर काम का बोझ और बढ़ गया है। हर साल होने वाला सर्वेक्षण और केंद्रीय टीम का आना और लगातार सरकार और आयुक्त के दबाव से तंग आकर श्री दासरवार ने पद से मुक्त करने की गुहार लगाई है। कुछ यही स्थिति संजय गायकवाड़ की भी है। वे पिछले तीन साल से VRS के लिए प्रयास कर रहे हैं। अब कहीं जाकर उनका आवेदन मंजूर हुआ है। वे केबल डक्ट को लेकर काफी विवादों में रहे हैं। जलप्रदाय विभाग की जिम्मेदारी होने से काम का दबाव अलग था।
सूत्रों ने बताया कि प्रशासनिक दबाव के अलावा राजनीतिक दबाव भी मनपा में बहुत है। इसलिए यह रास्ता चुनने की जानकारी है। दासरवार और गायकवाड़ की तरह अनेक अधिकारी इसी राह पर हैं। आने वाले समय में मनपा प्रशासन की दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। आगामी समय में नदी व सरोवर प्रकल्प की जिम्मेदारी संभाल रहे मो. इसराइल, जांभुलकर, भुते समेत अनेक बड़े अधिकारी रिटायर होने वाले हैं। ये सभी तकनीकी अधिकारी होने से इनकी दोहरी जिम्मेदारी अन्य कंधों पर सौंपी जाएगी।
नई भर्ती पर भी संकट
आर्थिक संकट से जूझ रही मनपा के सामने एक और संकट है। नियमानुसार आस्थापना खर्च 35 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन मौजूदा खर्च 50 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में नई भर्ती करना तो दूर, उसे आस्थापना खर्च घटाने की चुनौती है। इसलिए नई भर्ती को लेकर भी संकट है। फिलहाल आपातकालीन सेवा के तहत अग्निशमन विभाग के पद और अभियंताओं के पद भरने का निर्णय लिया गया है। क्लास-3 और 4 के पद अनुकंपा से भरे जाने की संभावना है। इससे पहले 2012 में कुछ पद भरे गए थे। 2003-04 में मनपा में बड़ी भर्ती हुई थी। उसके बाद कोई भर्ती नहीं हुई है।
सरकार से मांगे हैं प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी
बड़े पदों को भरने के लिए सरकार से प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी मांगे गए हैं। अन्य कुछ पद पदोन्नति से भरे जाएंगे। फिलहाल अग्निशमन विभाग और अभियंताओं के पदों की सीधी भर्ती की जा रही है।
महेश धामेचा, सहायक आयुक्त, सामान्य प्रशासन विभाग
Created On :   28 July 2018 4:26 PM IST