यूनिवर्सिटी में मूल्यांकनकर्ता का टोटा, थीसिस जमा करने के बाद पीएचडी के लिए लंबा इंतजार

Evaluator university, long wait for PhD after submitting thesis
यूनिवर्सिटी में मूल्यांकनकर्ता का टोटा, थीसिस जमा करने के बाद पीएचडी के लिए लंबा इंतजार
यूनिवर्सिटी में मूल्यांकनकर्ता का टोटा, थीसिस जमा करने के बाद पीएचडी के लिए लंबा इंतजार

डिजिटल डेस्क, नागपुर । राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के पीएचडी शोधार्थियों को शोध प्रबंध जमा करने के बावजूद पीएचडी डिग्री के लिए कई वर्ष इंतजार करना पड़ रहा है। दरअसल शोध प्रबंध जमा होने के बाद कुल तीन मूल्यांकनकर्ता उसे जांचते हैं। उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही वायवा और अन्य प्रक्रिया आगे बढ़ती है,  लेकिन कई मामलों में तो विश्वविद्यालय को मूल्यांकनकर्ता ढूंढ़ने में ही खासा वक्त लग जाता है। उन्हें शोध प्रबंध भेजने के बाद भी कई कई महीने वे रिपोर्ट नहीं भेजते हैं। ऐेसे में विद्यार्थियों के पास इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर विद्यार्थी संगठन द्वार प्रभारी प्रकुलगुरु डॉ. विनायक देशपांडे को सौंपी गई शिकायत के अनुसार शोधार्थियों को प्रबंध जमा करने के बाद डिग्री के लिए तीन से पांच वर्ष इंतजार करना पड़ता है। यह विवि की अकार्यक्षमता का नतीजा है। एक तो पीएचडी रिसर्च के लिए लगने वाले चार से पांच साल में अब तीन वर्ष का इंतजार भी जुड़ गया है। इन तीन वर्षों में शोधार्थियों को अनेक सुनहरे मौके गंवाने पड़ रहे हैं। 

नहीं कर पा रहे लागू
कुछ ही दिनों पूर्व हुई बोर्ड ऑफ एग्जाम की बैठक मंे तय हुआ है कि तीन में से दो मूल्यांकनकर्ताओं से सकारात्मक रिपोर्ट मिलने पर उस उम्मीदवार का वायवा लिया जाएगा। यह तो यूजीसी का पुराना नियम है, इसे विवि ने देर से लागू किया है। इसी प्रकार विवि फैसला ले चुका है कि एक बार शोध प्रबंध जमा होने के बाद विद्यार्थियों को सब्मिशन सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिससे विद्यार्थी अवसरों से वंचित न रहें, लेकिन अब तक विवि ने यह सुविधा शुरू नहीं की है। संगठन के अनुसार निर्णय लेने में लचरता और उसे लागू न करने की प्रवृत्ति के कारण शोधार्थियों का बड़ा नुकसान हो रहा है।

हो रहा नुकसान
नागपुर विवि से पीएचडी के लिए हर साल सैकड़ों अभ्यार्थी आवेदन करते हैं। पीएचडी प्रवेश परीक्षा और अन्य प्रक्रिया पूरी करने के बाद वे रजिस्ट्रेशन करके शोध शुरू करते हैं। रिसर्च की अवधि पूरी होने पर थीसिस जमा की जाती है। वायवा और अन्य प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें पीएचडी नोटिफाई होती है, लेकिन इन कवायदों में होने वाले विलंब से शोधार्थियों का नुकसान हो रहा है।

Created On :   21 Sep 2019 6:59 AM GMT

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