कंपनी से इस्तीफे बाद भी संजय पांडे देख रहे थे कामकाज, पूर्व पुलिस आयुक्त के ईमेल के जरिए हो रही थी बातचीत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) अधिकारियों के फोन टैपिंग मामले में केंद्रीय जांच एजेंसियों के घेरे में फंसे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। मनी लांडरिंग के आरोपों की छानबीन कर रही ईडी ने पाया है कि पांडे ने आईपीएस अधिकारी के पद से दिया गया इस्तीफा अस्वीकार होने के बाद भले ही इस कंपनी से इस्तीफा दे दिया था लेकिन इसका कामकाज वे ही देख रहे थे। यही नहीं आईसेक कंपनी और एनएसई अधिकारियों के बीच जो बातचीत हो रही थी वह संजय पांडे के ईमेल के जरिए ही हो रही थी। पांडे ने आईपीएस के पद से इस्तीफा देने के बाद मार्च 2001 में आईसेक कंपनी स्थापित की थी। लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ जिसके बाद उन्होंने साल 2006 में कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी मां संतोष और बेटे अरमान को कंपनी का निदेशक बना दिया। हालांकि इस्तीफे के बाद भी कंपनी पांडे ही चला रहे थे।
एनएसई के 91 अधिकारियों के हुए फोन टैप
छानबीन में यह भी खुलासा हुआ है कि पांडे की कंपनी ने एनएसई की तत्कालीन एमडी चित्रा रामकृष्ण के इशारे पर एनएसई के 91 अधिकारियों के फोन बिना किसी मंजूरी के अवैध रुप से टैप किए थे। जांच एजेंसी को इसकी ट्रांसक्रिप्ट और वाइस रिकॉर्डिंग भी मिली है। ज्यादातर रिकॉर्ड की गई बातचीत एनएसई के कामकाज और स्टॉक को लेकर है। केंद्रीय जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रहीं हैं कि इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों की बातचीत किस मकसद से रिकॉर्ड की गई थी। बता दें कि पांडे की कंपनी को फोन रिकॉर्ड करने के लिए 4.54 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। पांडे एनएसई सर्वर को-लोकेशन मामले में भी जांच के घेरे में हैं। इसके जरिए कुछ ब्रोकरों ने जल्द सूचना हासिल कर मोटी कमाई की थी।
Created On :   18 July 2022 9:18 PM IST