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मासूम बिटिया की जान बचाने तेंदुए से भिड़ गई महिला, यू ही नहीं कहते - बच्चों में बसती है मां की जान

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। तू कितनी अच्छी है, कितनी भोली है प्यारी प्यारी है, ओ मां...फिल्म राजा और रंक के इस गीत में बरसते मां के प्यार से भले ही आपकी आंखें भीग जाएगी, लेकिन दुर्गापुर की एक घटना से औलाद के लिए मां का दर्द क्या होता है, जानकर दिल सिहर उठेगा। जहां एक मां अपनी बिटिया की जान बचाने तेंदुए से भिड़ गई।
मां बच्चों की जान होती है, वो होते हैं किस्मत वाले जिनकी मां होती है
स्थान वार्ड नंबर 1, दिन मंगलवार की रात 9 बजे की बात है, जब जगजीवन पोप्पलवार की तीन साल की बिटिया आराक्षा घर में दरवाजे के पास बैठी खाना खा रही थी, लेकिन उस मासूम को नहीं पता था कि नन्हीं जान अब बड़ी मुसीबत में फंस रही है। घात लगाकर बैठे तेंदुए ने पीछे से उसपर अचानक हमला कर दिया। तेंदुआ उसे घसीटते हुए ले जाने लगा, तभी उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर मां का कलेजा मनो गले में आ गया। डरी सहमी मां ने हिम्मत जुटाई और वहां रखी लाठी उठा ली। पूरी हिम्मत से मां ने तेंदुए पर लाठी से जोरदार वार किया और मां का यह वार बच्ची के लिए जीवन दान बना, लाठी लगते ही तेंदुआ बच्ची को छोड़कर वहां से भाग निकला।
मेरी निंदिया पर अपनी निंदिया तूने वारी है...ओ मां....
उधर मां की मानों नींद छिन गई है, बेटी आराक्षा घायल है, उसका जिला सरकारी अस्पताल में इलाज शुरू है। यह घटना इलाके आग की तरह फैल गई। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे वनविभाग के अधिकारी आरएफओ राहुल कारेकर और कर्मचारियों को गुस्साए लोगों ने घेरकर बंधक बना लिया। वरिष्ठ अधिकारी ने तेंदुए को शूट करने के आदेश दिए, तब घंटों बाद जाकर वनकर्मियों को छोड़ा गया।
पिछले कई महीनों से दुर्गापुर- ऊर्जानगर इलाके में बाघ-तेंदुए ने उत्पात मचा रखा है। दुर्गापुर इलाके में सबसे ज्यादा तेंदुए का आतंक है। जो गांव में कई लोगों को शिकार बना चुका है। जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। वनविभाग पर आरोप लगाया जा रहा है कि जंगली जानवरों के हमलों को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। ऐसे में इस घटना ने लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा दिया।
कुछ दिन पहले इसी इलाके में एक तेंदुए को पिंजरे में बंद किया गया था। वनविभाग को यह सफलता मिलने के बाद रहवासियों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन इसके बाद जब आंगन में काम कर रही महिला पर तेंदुए ने हमला किया, तो लोगों में डर और असंतोष बढ़ गया था।
मुख्य वनसंरक्षक कार्यालय के सामने शव रखकर प्रदर्शन किया गया था। उस समय वन विभाग ने लोगों की सुरक्षा का आश्वासन दिया था, लेकिन उसपर अमल नहीं हो सका।
इस बार इस मां की सूझबूझ से मासूम की जान बच गई, हालही में दुनियाभर ने मदर्स डे मनाया था, लेकिन इस घटना ने साबित कर दिया कि एक मां के लिए तो हर दिन मदर्स डे है।

Created On :   11 May 2022 8:15 PM IST