फेल होता जा रहा है वन विभाग के खबरियों का नेटवर्क

Failure of Forest Newsmans Network, forest department loose it
फेल होता जा रहा है वन विभाग के खबरियों का नेटवर्क
फेल होता जा रहा है वन विभाग के खबरियों का नेटवर्क

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सचिन मोखारकर। वन विभाग के खबरियों का नेटवर्क फेल होता जा रहा है और इसके चलते खबरियों के नाम पर आनेवाला फंड खर्च नहीं हो रहा है। अब स्थिति यह है कि फंड खर्च नहीं होने से वर्ष 2016-17 में खबरियों को एक रुपया भी नहीं मिल पाया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि मांग ही नहीं की जा रही है। मतलब साफ है कि यह विभाग बिना खबरी अर्थात बेखबर है। 

खबरियों का सहारा 
वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार 61 हजार 724 वर्ग किलोमीटर पर जंगल फैला है। इसमें कोर इलाकों के अलावा 6 व्याघ्र प्रकल्प हैं- मेड़घाट, ताड़ोबा अंधारी, पेंच, सह्याद्री, बोर, नवेगांव-नागझिरा। सीमित दायरे की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरएफओ (रेंज ऑफिसर) की होती है, जिनके अंतर्गत कुछ कर्मचारी होते हैं। लेकिन दायरा ज्यादा और कर्मचारी कम, ऐसी स्थिति में जंगल के चप्पे-चप्पे पर नजर रखना संभव नहीं होता। नतीजतन, अवैध शिकार, लकड़ी चोरी, आग लगाना, अवैध उत्खनन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। कई बार नेटवर्क नहीं रहने से यह घटनाएं वन विभाग तक पहुंच भी नहीं पाती हैं। ऐसे में नेटवर्क बनाने के लिए खबरियों का सहारा लिया जाता है। 

खबरियों की महत्वपूर्ण भूमिका 
पुलिस, रेलवे व वन विभाग में खबरियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान स्थिति में पुलिस व रेलवे में खबरियों के भरोसे अनेक बेहतर परिणाम आए हैं, लेकिन वन विभाग में इनका नेटवर्क पूरी तरह से फेल होता दिख रहा है। यहां तक कि खबरियों के नाम की जमा राशि का उपयोग तक नहीं हो पा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012-13 के वित्त वर्ष में 1 लाख रुपए खबरियों के लिए आए थे। इसके बाद 2013-14 में 6 लाख 56 हजार रुपए भेजे गये। वर्ष 2014-15 में यह राशि 6 लाख के ऊपर पहुंच गई, मगर एक रुपए की भी मांग नहीं हुई। संबंधित अधिकारियों के अनुसार, पहले की राशि खत्म नहीं होने से ऐसा हुआ है।

विभाग गंभीर नहीं 
वन विभाग वाकई खबरियों के मुद्दे पर गंभीर नहीं। उनके लिए फंड और उनकी संख्या के बारे में पूछे जाने पर कोई जानकारी अधिकारियों के पास नहीं है। लिहाजा, चर्चा यहां तक हो रही है कि जंगल में हो रही अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने की मंशा विभाग को है ही नहीं, इसलिए जान-बूझकर खबरियों पर पकड़ नहीं बनाई जा रही है। 

कौन होते हैं खबरी 
संबंधित विभाग का कर्मचारी नहीं होने के बावजूद जो शख्स विभाग से हमेशा संपर्क में रहता है और उस विभाग के लिए जरूरी जानकारी देने का काम करता है, वह सामान्य व्यक्ति खबरी होता है। 

गंभीर नहीं कोई 
सूत्रों के अनुसार, वन विभाग खबरियों के नेटवर्क को लेकर पूरी तरह से लापरवाह है। किसी भी तरह का कोई सिस्टम नहीं है। बाकी विभागों की तरह खबरियों को यहां महत्व नहीं दिया जा रहा है और यही कारण है कि खबरी भी वन विभाग के प्रति अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा रहे हैं।  

मसले पर ध्यान देंगे 
पी. कल्याण कुमार, मुख्य वन संरक्षक (अर्थसंकल्प व नियोजन विकास) वन विभाग के मुताबिक पहले का पैसा खत्म नहीं हुआ होगा, इसलिए नहीं हुई राशि की मांग। मसले पर ध्यान देंगे।

Created On :   27 March 2018 5:48 PM IST

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