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रासायनिक खेती को किया बॉय-बॉय, जैविक खेती ही करेंगे इस गांव के किसान
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। गोंदिया जिले को धान के कटोरे के नाम से जाना जाता है। अधिकांश किसान रासायनिक खादों का उपयोग कर बंपर उत्पादन ले रहे हैं, लेकिन रासायनिक खादों से हुए उत्पाद को स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक बताया गया है। जिला कृषि विभाग से संबंधित आत्मा विभाग ने इस वर्ष 1750 एकड़ पर जैविक खेती का प्रयोग कर अनाज का उत्पादन लेने का निर्णय लिया है। इसके लिए 1750 किसान आगे आए हैं। इससे स्पष्ट हो रहा है कि अब किसान रासायनिक खेती के बजाए जैविक खेती को अपनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
"आत्मा " कर रहा मार्गदर्शन
बता दें कि जिले में तालाब अधिक होने से यहां के किसान धान की खेती पर अधिक जोर देते हैं। प्रतिवर्ष 2 लाख हेक्टेयर पर खरीफ की फसल लगाई जाती है। आधुनिक खेती के नाम पर रासायनिक खाद का उपयोग बड़े पैमाने पर धान उत्पादक किसान कर रहे हैं। उत्पादन अधिक तो होता है, लेकिन इसका अधिक विपरित परिणाम मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवरों के स्वास्थ्य पर भी होता है। वहीं रासायन से निर्मित उत्पादन को बाजार में उचित मूल्य नहीं मिलता। किसान विषमुक्त अनाज पैदा कैसे करें? इसके लिए कृषि विभाग से संबंधित "आत्मा " विभाग किसानों को जैविक खेती पर मार्गदर्शन कर रहा है। इस वर्ष खरीफ मौसम में जिले के 1750 किसान जैविक खेती कर सकें, इस तरह का नियोजन आत्मा विभाग ने जिला प्रशासन को प्रस्तुत कर दिया है। यानी कि एक किसान एक एकड़ इस प्रकार 1750 किसान 1750 एकड़ पर खरीफ मौसम में विषमुक्त अनाज पैदा करेगा। इसे बाजार में चार गुना ज्यादा दाम मिलेगा। कृषि विभाग ने आशा जताई है कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
इस वर्ष अच्छा होगा उत्पादन
गत वर्ष अल्पवर्षा के कारण 50 एकड़ में लगाए गए विषमुक्त अनाज की पैदावार 510 क्विंटल ही हो सकेगी। इस वर्ष अच्छी बारिश के संकेत हैं। 1750 किसान जैविक खेती करने के लिए सामने आए हैं। पैदावार अधिक होने का अनुमान लगाया गया है। विषमुक्त अनाज की मांग अधिक होने से किसानों को उचित मूल्य मिल रहा है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में काफी मदद हो रही है। समय-समय पर जैविक खेती के संदर्भ में आत्मा विभाग की ओर से मार्गदर्शन किया जाता है।
इंदूराव चव्हाण, प्रकल्प संचालक आत्मा
Created On :   2 Jun 2018 4:06 PM IST