भंडारा में बनता है गुड़, जिसका मधुमेह के मरीज भी कर रहे उपयोग

Farmers chosen jaggery manufacturing for their economic growth
भंडारा में बनता है गुड़, जिसका मधुमेह के मरीज भी कर रहे उपयोग
भंडारा में बनता है गुड़, जिसका मधुमेह के मरीज भी कर रहे उपयोग

डिजिटल डेस्क, साकोली (भंडारा)। साकोली तहसील में गन्ना उत्पादक किसानों ने हाथभट्ठी से गुड़ बना कर आर्थिक तरक्की का मार्ग अपनाया है। तकनीकी युग में भी प्राचीन तरीका अपनाकर भट्ठी से गुड़ बनाने की परपंरा आज भी साकोली तहसील में शुरू है। हाथभट्ठी से बने गुड़ की मिठास से इसकी अन्य राज्य में मांग भी बढ़ रही है। यहां का गुड़ मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में भेजा रहा है। जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है। इस गुड़ की खासियत यह भी है कि मधुमेह के मरीज भी इस गुड़ का सेवन कर सकते हैं।  

उल्लेखनीय है कि साकोली तहसील में प्राचीन माल गुजारी काल से ही खेतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। किसान धान की फसल के साथ नकद फसल के तौर पर गन्ने की खेती करते रहे हैं। साकोली तहसील में दो से तीन हजार एकड़ में गन्ने की फसल ली जाती है। प्रति एकड़ से 40 से 60 टन तक गन्ने का उत्पादन होता है। एक मर्तबा गन्ना फसल की बुआई करने के उपरांत तीन वर्ष तक गन्ना फसल का उत्पादन लिया जा सकता है। प्राचीन काल में बैलघानी का उपयोग कर गन्ने का रस निकाला जाता था। वर्तमान में नई तकनीक से  मशीनों का उपयोग कर गन्ने के रस को निकाला जाता है।

स्थानीय गन्ना उत्पादक किसानों को शक्कर कारखाने में गन्ने की आपूर्ति करने के एवज में गुड़ कारखाने में गन्ने की आपूर्ति करना अधिक सुविधाजनक है। गुड़ कारखाने में गन्ना फसल की राशि का शीघ्र भुगतान किया जाता है। परिसर में साकोली, बिर्सी व सुंदरी में गुड़ बनाया जाता है। ग्रामीण परिसर में आज भी उत्सवों के दिनों में बनाई जाने वाली मिठाई व अतिथियों के स्वागत के लिए बनाई जाने वाली चाय में भट्ठी से बनाए गए गुड़ का ही उपयोग होता है। भट्ठी के गुड़ की अपनी अलग पहचान है। मधुमेह के मरीज भी इसी गुड़ का उपयोग कर रहे हैं। परिसर में भट्ठी से बने गुड़ की मांग बड़े पैमाने पर है। मांग की तुलना में उत्पादन कम है। जिसके कारण गुड़ के दाम भी बढ़ गए हैं। जिले के सभी बड़े गावों समेत मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में साकोली के गुड़ की मांग है।

रस को गरम कर बनाई जाती है गुड़ की डली
मशीनों की सहायता से एक टन गन्ने से 70 से 80 प्रतिशत रस निकलता है। रस को गरम करने के उपरांत 10  से 13  प्रतिशत गुड़ अर्थात 1 टन गन्ने से 1 क्विंटल राब(रस) तैयार होता है। राब को ठंडा करने के उपरांत हाथों से गुड़ की डली बनाई जाती है। वर्तमान में एक टन गन्ने का दाम 2100  से 2300  रुपए है। हाथ से बने गुड़ को बाजार में 30 से 40 रुपए प्रति किलो दाम से बेचा जाता है। थोक में 20 से 30 रुपए किलो के दाम से गुड़ की ब्रिक्री की जाती है। एक कारखाने में 10 से 15 मजदूर काम करते हैं। गन्ना उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति में दिनों दिन सुधार होता दिखाई दे रहा है।

Created On :   14 March 2019 3:00 PM IST

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