किसानों ने तुअर उत्पादन से की तौबा, सोयाबीन और कपास की ओर रुझान

Farmers will not produce tur dal
किसानों ने तुअर उत्पादन से की तौबा, सोयाबीन और कपास की ओर रुझान
किसानों ने तुअर उत्पादन से की तौबा, सोयाबीन और कपास की ओर रुझान

डिजिटल डेस्क, यवतमाल. पिछले साल सरकार के कहने पर बड़े पैमाने पर तुअर का उत्पादन करने वाले किसानों ने इस बार तुअर बिक्री को लेकर उपजी स्थिति के बाद तुअर उत्पादन से लगभग तौबा कर लिया है। यही वजह है कि इस वर्ष भी किसानों का झुकाव सोयाबीन एवं कपास की ओर ही अधिक दिखाई दे रहा है।

कुछ वर्षों से जिले में कपास उत्पादन में कमी आयी, लेकिन किसानों ने कपास का उत्पादन करना फिर भी नहीं छोड़ा। प्रतिवर्ष स्थितियां चाहे जो भी हों, किसान कपास की बुआई अवश्य ही करते हैं। इस वर्ष भी कुछ यही स्थिति बनी हुई है। मानसून से लेकर विभिन्न नक्षत्रों के बीच जिले की 16 तहसीलों में जारी खरीफ फसलों की बुआई में अब तक सर्वाधिक बुआई कपास की हुई है। इस बार जिले में कपास, तुअर, सोयाबीन, दलहन जैसी प्रमुख फसलों के साथ ही 9 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बुआई का नियोजन किया गया। फिलहाल जिले में बुआई का कार्य चल रहा है।

दलहन उत्पादन में आएगी कमी
इस वर्ष जिले में तुअर उत्पादकों की तुअर खरीदी मामलों में आयी दिक्कतें तथा तुअर खरीदी के दौरान सरकारी समर्थन मूल्य घोषित होने के बावजूद तुअर उत्पादक किसानों को जिस तरह से तकलीफों का सामना करना पड़ा, उसे देखते हुए इस वर्ष तुअर का बुआई क्षेत्र बुरी तरह से घटने के आसार अभी से नजर आ रहे हैं। जिले में तुअर के बम्पर उत्पादन के बावजूद तुअर खरीदी न होने से किसान हताश हैं। तुअर बेचने के बाद अब भी जिले के हजारों किसानों को टोकन की राशि के अलावा कुल राशि नही मिल पायी है, जिससे खरीफ फसल में तुअर उत्पादकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसका असर इस वर्ष की तुअर की बुआई पर पड़ता दिखाई दे रहा है।

Created On :   3 July 2017 4:02 PM IST

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