कोर्ट के निर्माणकार्य में भ्रष्टाचार का आरोप संबंधी एफआईआर खारिज

डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने वाशिम जिले के मंगलूरपीर स्थित न्यायालय के निर्माणकार्य में भ्रष्टाचार का आरोप संबंधी एफआईआर को खारिज कर दिया है। इससे तत्कालीन सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग के अधिकारी काशीनाथ गडेकर व अन्य को राहत मिली है। खास बात यह है कि इस प्रकरण में फरियादी वाशिम जिले के तत्कालीन प्रभारी जिला व सत्र न्यायाधीश के. के. गौर थे। एफआईआर खारिज करते समय हाईकोर्ट ने उन्हें कड़े शब्दों में पूछा कि क्या उन्होंने इस मामले में एफआईआर कराने के पूर्व हाईकोर्ट की अनुमति ली थी? इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. आर. के. तिवारी ने पक्ष रखा। उन्हें एड. रिषभ शुक्ला, एड. मंगेश राऊत और एड. ऋतुराज बावणे ने सहकार्य किया।
यह है मामला : जुलाई 2016 में वाशिम जिले के मंगलूरपीर के प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी न्यायालय में शौचालय, गवाहदार कक्ष व आरोपियों की हिरासत कक्ष के काम के लिए राज्य सरकार ने 23.87 लाख रुपए की निधि मंजूर की थी। इस निर्माणकार्य के बाद भी कुछ रकम बच रही थी। ऐसे में तत्कालीन प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश ने संबंधित अधिकारियों से बैठक के बाद बची हुई निधि से एक नया कोर्ट रूम और संबंधित निर्माणकार्य करवाने का फैसला लिया, लेकिन इसके न्यायाधीश के. के. गौर को प्रभारी प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश बनाया गया। एक दिन अचानक वे मंगलूरपीर न्यायालय पहुंचे। उन्होंने यह अतिरिक्त निर्माणकार्य देखा और पाया कि इस कार्य में अनियमितता हुई है। इसके बाद उन्होंने सीधे पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करा दी। उन्होंने निर्माणकार्य में 17.89 लाख रुपए की अनियमितता का आरोप लगाया। पुलिस ने इस मामले में सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग के अधिकारियों और संबंधित ठेकेदार के खिलाफ भादवि 406, 409, 417 व अन्य के तहत एफआईआर दर्ज कर ली, जिसे खारिज करने के लिए अधिकारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली।
Created On :   12 July 2022 7:10 PM IST