बौद्ध धम्मगुरु अजाहन जयासारो ने कहा - मानवी जीवन की पहली क्रांति मन में होती है

डिजिटल डेस्क, नागपुर| मानवी जीवन में सबसे पहले क्रांति मन में होती है। मन की एकाग्रता आपने साध ली है, तो कोई भी कार्य असंभवन नहीं है। मेडिटेशन-विपश्यना यह ध्यान लगाने के योग्य साधन हैं। यह मत विश्व विख्यात भंते-बौद्ध धम्मगुरु अजाहन जयासारो ने व्यक्त किए। दीक्षाभूमि में आयोजित धम्म प्रवचन में वे मार्गदर्शन कर रहे थे। भंते ने कहा कि बुद्ध धम्म सिर्फ विश्वास का नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में अच्छे और सकारात्मक विचारों से सतत परिवर्तन करते रहने की कृति है। जैसे फल बीज पर निर्भर रहते हैं, उसी तरह अपने कर्म पर जीवन के कुशल-अकुशल परिणाम निर्भर रहते हैं।
सतत कुशल काम कर्म अर्थात अच्छे कर्म करें, दान करें। उसी से यह दुनिया सुंदर बनेगी। विश्व में शांित और स्थिरता आएगी। इसके लिए सभी को आपस में मैत्री भावना विकसित करने की जरूरत है।
महामानव पर गीत प्रस्तुत किए : मेत्ता ग्लोबल फाउंडेशन, मुंबई और नागपुर बुद्धिस्ट एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में धम्म प्रवचन का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर भंते विनय रक्खिता (बंगलुरु), डॉ. हर्षदीप कांबले (आईएएस) और डॉ. सुधीर फुलझेले (सचिव, डॉ. आंबेडकर स्मारक समिति), अमन कांबले प्रमुखता से उपस्थित थे। इस दौरान दीक्षाभूमि पर भंते जयासारो के कार्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए भंतेजी का धम्म प्रवचन का आयोजन किया गया था। समारोह के आरंभ में विदर्भ के छोटे उस्तादों ने महामानव पर गीत प्रस्तुत किए।
समारोह का संचालन अमन कांबले व आभार प्रदर्शन प्रीतम बुलकुंडे ने किया। सफलतार्थ धर्मेश फुसाटे, प्रफुल भालेराव, डॉ. राजेंद्र फुले, राजीव झोडापे, उज्जवल सिरपुरकर, रोहित सहारे, प्रियंका मेंढे, अमेय ताकसांडे, चंदू मंडके, धम्मपाल माटे आदि ने प्रयास किए।
Created On :   15 Jan 2023 4:34 PM IST