350 रुपए के रिश्वत मामले में 24 साल बाद बरी हुआ पूर्व पुलिस अधिकारी, निचली अदालत ने सुनाई थी एक साल की सजा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने 350 रुपए की घूस लेने के मामले में दोषी पाए एक पूर्व पुलिस अधिकारी को 24 साल बाद मामले से बरी किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी के रिश्वत लेने के तथ्य को साबित करने में विफल रहा है। इसलिए आरोपी पुलिसकर्मी दामू आव्हाड को मामले से बरी किया जाता है। महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने नाशिक जिले के येवला में पुलिस उपनिरीक्षक रहे आरोपी आव्हाड को 350 रुपए घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपी ने एक शख्स के भाई को पुलिस स्टेशन से जमानत देने के एवज में 350 रुपए लिए थे। मामले की जांच के बाद एसीबी ने आरोपी के खिलाफ कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया था। विशेष अदालत ने 1998 में इस मामले में आरोपी आव्हाड को एक साल के कारावास की सजा सुनाई थी। विशेष अदालत के इस फैसले के खिलाफ आव्हाड ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति वी.जी बिष्ट के सामने अपील पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि आरोपी के पास से महज पावडर युक्त रुपए मिलना उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके साथ ही अभियोजन पक्ष आरोपी पर लगे आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा है। लिहाजा आरोपी को बरी किया जाता है। न्यायमूर्ति ने गुरुवार को आरोपी की रिहाई का आदेश दिया था जिसकी प्रति शुक्रवार को उपलब्ध हुई।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने दावा किया कि एसीबी ने आरोपी के पास से 350 रुपए बरामद किए थे। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि सबूत के अभाव में सिर्फ आरोपी के पास से पावडर युक्त रुपए मिलना उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है। न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी ने जमानत पर रिहा होने के लिए नियमानुसार जरुरी रकम देने को कहा था लेकिन शिकायतकर्ता ने समझा की आरोपी उससे खुद के लिए पैसे मांग रहा है। न्यायमूर्ति ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो दर्शाए कि आरोपी ने शिकायतकर्ता से पैसों की मांग की थी।
Created On :   1 July 2022 9:34 PM IST