लोगों के संघर्ष और बलिदान से मिली स्वतंत्रता

Freedom gained by the struggle and sacrifice of the people
लोगों के संघर्ष और बलिदान से मिली स्वतंत्रता
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने साझा किए अनुभव लोगों के संघर्ष और बलिदान से मिली स्वतंत्रता

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मानव इतिहास में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एक अनोखी मिसाल है। इसमें सभी वर्गों के लोगों ने सभी प्रकार की जाति, पंथ, या धर्म से ऊपर उठकर एवं एकजुट होकर एक उद्देश्य के लिए काम किया। यह एक पुनर्जागरण था। यह लोगों की विभिन्न पीढ़ियों का संघर्ष और बलिदान था, जिसके परिणाम स्वरूप स्वतंत्रता प्राप्त हुई। देश के स्वतंत्रता संग्राम में पूरे भारत से स्वतंत्रता  सेनानियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पुलिस व अंगरेजों ने लाठीचार्ज किया और जेल में डाला, लेकिन  वीर सपूतों ने बहादुरी का लोहा मनवाया और अंगरेजों की प्रताड़ना के आगे कभी झुके नहीं। शहर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केदारनाथ पाण्डेय ने भी स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना सहयोग दिया। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर श्री पाण्डेय ने अपने अनुभवों को दैनिक भास्कर से साझा किया।

वानर सेना में हुए शामिल

पाण्डेय ने बताया कि ‘उनका जन्म 3 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद के एक गांव में हुआ। बात उस समय की है, जब वे इलाहाबाद में 1942 में नाना के घर रहने गए। उस समय स्कूल बंद हो गए, तो पढ़ाई भी बंद हो गई। मैं आंदोलन में फंस गया। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में वानर सेना में भर्ती हो गया। वानर सेना के लोगों को टिफिन पहंुचाना, खबर पहुंचाना, पुलिस के बारे मे जानकारी देता था। कई बार इसके कारण पुलिस ने पकड़कर थाने में भी डाला। धीरे-धीरे आंदोलन बढ़ता गया। कई बार अंगरेजों के खिलाफ नारे लगाते हुए पकड़े गए।’

लोगों के हक के लिए लड़े

पाण्डेय ने आगे बताया कि महात्मा गांधी ने अंगरेजों के विरोध में अांदोलन छेड़ा। उस समय अंगरेज शासन भारतीयों को फोर्थ क्लास में लेता था। गांधी जी ने इसका विरोध किया और आंदोलन भी किया। 1945 के जेल भरो आंदोलन में भी शामिल हुआ। काफी अांदोलनों के बाद 1947 से स्कूल और कॉलेज शुरू हुए, फिर मैंने 1947 से 1952 तक अधूरी पढ़ाई पूरी और नागपुर आ गया। नागपुर आने के बाद हिन्दुस्तानी लाल सेना में भर्ती हो गया। 

पाण्डेय ने बताया कि उनको 1975 तक हिन्दुस्तानी लाल सेना का जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया, फिर उन्होंने लेबर फील्ड में काम करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए  पेंशन की सुविधा है, लेकिन हिन्दुस्तानी लाल सेना ने पेंशन नहीं लेने की शपथ ली है। उनमें से वे भी एक हैं।
 

 

 

 

Created On :   16 Aug 2021 5:10 PM IST

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