पटोले काे नोटिस देकर उच्च स्तरीय जांच कराएं निलंबन पर बोले आशीष - अभी कांग्रेस में ही हूं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के िवरोध में पूर्व विधायक आशीष देशमुख की बयानबाजी जारी है। पार्टी से निलंबित किए जाने पर उन्होंने कहा है कि वे अब भी कांग्रेस में ही हैं। साथ ही यह भी कहा है कि पटोले को लेकर लगाए गए आरोपों पर वे कायम हैं। पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, उसके बाद से महाविकास आघाड़ी सरकार गिरने की प्रक्रिया आरंभ हुई। संभावना है कि पटोले का इस्तीफा किसी षड़यंत्र का भाग था। इसलिए उन्हें नोटिस देकर उनकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। शनिवार को देशमुख ने पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा में यह भी कहा कि अभी उन्होंने कोई नया राजनीतिक निर्णय नहीं लिया है। राकांपा में शामिल होने का सवाल नहीं है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के साथ उनकी भेंट का राजनीतिक आशय न लगाया जाए। राज्य ही नहीं, देश में ओबीसी के विषयों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ओबीसी के विषय पर पार्टी के लिए उन्होंने भावना व्यक्त की थी। विनायक सावरकर को लेकर निराधार वक्तव्य देना योग्य नहीं है। सावरकर को लेकर राहुल गांधी वक्तव्य न दें। निलंबन को लेकर पार्टी की अनुशासन समिति को निर्धारित समय पर जवाब भेजा जाएगा। पार्टी ने निलंबन किया है, बाहर नहीं किया है। इसलिए अन्य पार्टी में जाने का सवाल ही नहीं है।
आशीष देशमुख के राजनीतिक कदम किस ओर बढ़ेंगे, कांग्रेस से उनके निलंबन के बाद यह सवाल उठने लगे हैं। आशीष ने कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर उस समय राजनीति आरंभ की, जब जिला कांग्रेस में गुटबाजी जमकर थी। 2007 में राहुल गांधी के समर्थन में आशीष ने यूथ फार इंडिया अभियान चलाया। राहुल गांधी को नागपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार बनाने की मांग कर रहे थे। हस्ताक्षर अभियान चल रहा था, लेकिन उसी समय भाजपा नेता अरुण गांधी एक मामले में पुलिस की हिरासत में लिए गए तो आशीष उनके समर्थन में रायबरेली पहुंच गए। बाद में राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए भाजपा के करीब हुए। 2009 में सावनेर विधानसभा से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन पराजित हुए। 2014 में उन्होंने भाजपा की टिकट पर ही काटोल से विधानसभा चुनाव जीता।
विधायक बनने के बाद भी उनके तेवर चर्चा में रहे। 2014 में भाजपा के नेतृत्व में राज्य में सरकार बन रही थी। तब मुख्यमंत्री पद के लिए नितीन गडकरी का नाम विदर्भ के कुछ भाजपा विधायकों ने आगे बढ़ाया था। आशीष ने गडकरी के लिए विधानसभा की सदस्यता त्यागने की घोषणा तक कर दी थी। बाद में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व की सरकार के विविध निर्णयों पर सवाल उठाने लगे। भाजपा के विधायक रहते हुए भी उन्होंने काटोल में तत्कालीन फडणवीस सरकार के विरोध में अनशन शुरू किया था। जांच एजेंसियां सक्रिय हुई थी। तब आशीष ने अनशन तोड़ दिया था। कुछ समय बाद वर्धा में राहुल गांधी की सभा में शामिल होकर उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली। कार्यकाल पूरा होने के पहले ही उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दिया। 2019 में कांग्रेस की टिकट पर फडणवीस के विरोध में चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हुए।
Created On :   9 April 2023 4:07 PM IST