बॉक्सिंग में भी आगे है संतरानगरी की लड़कियां, बना चुकी हैं अंतर्राष्ट्रीय पहचान

Girls of orange city Nagpur are doing great in the boxing game
बॉक्सिंग में भी आगे है संतरानगरी की लड़कियां, बना चुकी हैं अंतर्राष्ट्रीय पहचान
बॉक्सिंग में भी आगे है संतरानगरी की लड़कियां, बना चुकी हैं अंतर्राष्ट्रीय पहचान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाॅक्सिंग में पहले ज्यादा बॉयज ही रुचि लेते थे, लेकिन अब बढ़ते ग्लैमर ने गर्ल्स को भी पॉपुलर कर दिया है। मैरी कॉम गर्ल्स की आइकॉन के रूप में सामने आई हैं, वैसे तो बॉक्सिंग गेम पुराना है। 16वीं से 18वीं सदी तक बॉक्सिंग ग्रेट ब्रिटेन में पैसों के लिए खेले जाने वाले खेल के रूप में लोकप्रिय था। हालांकि 19वीं सदी से इंग्लैंड और अमेरिका में इसे फिर से व्यवस्थित तरीके से शुरू किया गया। शहर में बॉक्सिंग गर्ल्स का बोलबाला बढ़ गया। शहर में लगभग 50 से अधिक से बॉक्सर हैं जो 7 से 26 वर्ष उम्र तक की हैं। बाॅक्सर गर्ल्स इंटरनेशनल लेवल तक खेल चुकी हैं। 

गर्ल्स हैं आगे
पहले गर्ल्स बॉक्सिंग में ज्यादा नहीं थीं। अभी भी क्रिकेट के अलावा बहुत सारे ऐसे गेम्स हैं, जहां पर गर्ल्स कम हैं। पर अभी गर्ल्स बॉक्सिंग में बढ़ रही हैं। शहर में 50 से अधिक गर्ल्स हैं जो बॉक्सिंग में हैं। बॉक्सिंग में आगे आना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। इसमें जॉब के अवसर भी बढ़िया हैं। साथ पर्सनालिटी डेवलपमेंट करने में भी सहायक है। गर्ल्स को इसमें बहुत बढ़िया प्लेटफॉर्म भी मिलता है। जिस तरह आज के समय में केसेस बढ़ते जा रहे हैं ऐसे में सेल्फ डिफेंस करने के लिए बहुत अच्छा माध्यम है। 
अरुण बुटे, बॉक्सिंग कोच

शुरू करने की उम्र 8-10 वर्ष
बॉक्सिंग में बहुत ज्यादा ताकत लगती है, इसलिए इसे छोटी में शुरू नहीं किया जा सकता है। इसे शुरू करने की सही उम्र 8-10  वर्ष है। साथ ही चाहे कोई भी गेम हो उसके लिए एकाग्रता जरूरी है। जब कोई भी खेल खेला जाता है तो सभी चीजें भूलकर उस पर कंसनट्रेट करना जरूरी हो जाता है। वैसे तो हमेशा ही प्रेक्टिस जी-जान लगाकर की, जब इंटरनेशनल के लिए सोचा कि मैडल तो जीतकर ही लाना है। मेरे इसी जज्बे ने मुझे जीत दिलाई। आज मैं बहुत खुश हूं, मेरे कोच और पैरेंट्स का सबसे बड़ा योगदान है। 
अलतिया पठान, बॉक्सर

सेल्फ डिफेंस भी

आज जिस तरह से केसेस बढ़ रहे हैं ऐसे समय में कोई बेहतर टेक्निक हर गर्ल को आनी ही चाहिए। मैं जब गर्ल्स को ट्रेन करती हूं तो उन्हें बताती हूं कि खेलना बहुत ही आत्मविश्वास के साथ। अगर कोई प्रॉब्लम हो जाए तो उससे निपटने के लिए हमारे पास बहुत बढ़िया उपाय होने चाहिए। वैसे भी बॉक्सर शब्द सुनकर कई लोग डर जाते हैं। फिर आगे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं करते हैं। अभी तक गोल्ड, सिल्वर और ब्रांच मैडल जीत चुकी हैं और आगे भी मेरी यही कोशिश है कि बॉक्सिंग में इंटरनेशनल लेवल तक जाना है।

एक बॉक्सर अपनी टेक्निक, आक्रामकता, फुर्ती, मजबूती और एटिट्यूड से सफल होता है, इसलिए किसी बच्चे को बॉक्सर बनाने की सोचने से पहले यह जरूर देखना चाहिए कि उसमें ये सब गुण हैं या नहीं। आक्रामकता का मतलब यह नहीं है कि बच्चा अगर रोज लड़ाई-झगड़ा करता है तो वह बहुत अच्छा बॉक्सर बनेगा। बच्चे में फुर्ती, जोश और जीत का एटिट्यूड होना जरूरी है। 
मोहिनी बुटे, बॉक्सिंग कोच
 

Created On :   1 Aug 2018 9:31 AM GMT

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