विदर्भ को अलग राज्य का दर्जा दें, प्राउटिस्ट ब्लॉक इंडिया की मांग

डिजिटल डेस्क, अकोला। विदर्भ को अलग राज्य का दर्जा दें व पृथक विदर्भ के देहातों में कार्य करनेवाले कर्मचारियों को गांव में ही निवासी की व्यवस्था करने की मांग को लेकर पीबीई अर्थात प्राउटिस्ट ब्लॉक इंडिया की ओर से सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में धरना आंदोलन किया गया। इस बीच जिलाधिकारी को मांग का ज्ञापन दिया गया है। जिसमें कहा गया कि पिछले कई दशकों से विदर्भ को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है। इसके लिए तरह तरह के आंदोलन हुए है लेकिन दु:ख की बात है कि विदर्भ के लोगों के साथ हमेशा विश्वासघात हुआ है।
आंदोलन करनेवाले नेताओं को पैसे या सत्ता की ताकत से खरीद लिया जाता है। यहां तक कि नागपुर में जन्मे और कई वर्षों तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने भी विदर्भ की लम्बे समय से लंबित इस मांग को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया। विदर्भ राज्य की मांग बहुत पुरानी है। यहां तक कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने भी 1920 में नागपुर अधिवेशन में अलग विदर्भ राज्य की मांग का समर्थन किया था। प्रश्न यह उठता है कि कई हालिया आंदोलनों के परिणमास्वरुप तेलंगाना, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्यों का गठन हुआ तो विदर्भ को उसका हक क्यों नहीं मिल रहा है?। यदि विदर्भ को राज्य का अलग दर्जा मिल जाए और नागपुर इसकी राजधानी बन जाए तो सरकार तक पहुंचने में आम लोगों को आसानी हो जाएगी। एक से तीन घंटे की छोटी अवधि में लोग व्यक्तिगत रुप से प्रशासन से संपर्क कर सकते हैं।
मंत्री एवं जनप्रतिनिधि भी विकास परियोजनाओं की निगरानी बेहतर ढंग से कर सकेंगे। इस धरने में आचार्य संतोष अवधुत, मधुकर निस्ताने ने आंदोलन का नेतृत्व किया। आंदोलन में वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश पोहरे के साथ अरुण केदार, अरविंद भोसले, रवींद्र सिंह, डा साहबराव धोत्रे, अन्नाजी राजेधर, विवेक डेहणकर, मनोज चौहान, मनोहर पवार, अरुण कपिले, बालकृष्ण गोतरकर, डा जानराव सावनकर, पंकज वाढवे, शंकरराव कुंवर, देवेंद्र गवली आदि शामिल हुए।
Created On :   26 July 2022 6:52 PM IST