सूतमिलों की बिजली दर में 3 रुपए की छूट, उद्योग के पुनरुद्धार पर जोर दे रही सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार ने नई वस्त्रोद्योग नीति के जरिए मेक इन महाराष्ट्र को गति देने के लिए सहकारी सूत मिलों की बिजली दर में प्रति यूनिट तीन रुपए और अन्य परियोजना के लिए दो रुपए की छूट देने का फैसला लिया है। इसके अनुसार सहकारी सूत मिलों को प्रति यूनिट तीन रुपए और पावरलूम, प्रक्रिया, गारमेंट, होजरी जैसी प्रोडक्शन यूनिट के लिए प्रति यूनिट दो रुपए की सहूलियत दी जाएगी। ओपन एक्सेस से बिजली लेने वाली सहकारी सूत मिलों को यह रियायत नहीं मिल सकेगी। सरकार ने बिजली दर की सहूलियत के लिए तीन साल तक के लिए प्रति वर्ष 150 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। साथ ही औरंगाबाद स्थित अजंता, एलोरा के रेशम सर्कल की तर्ज पर गडचिरोली, चंद्रपुर, भंडारा में रेशम पर्यटन सर्कल विकसित किया जाएगा।
वस्त्रोद्योग नीति 2018-23 को मिल चुकी मंजूरी
इससे पहले प्रदेश की वस्त्रोद्योग नीति 2018-23 को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी गई। इस नीति के लिए 4649 करोड़ रुपए की विभिन्न योजनाओं को लागू किया जाएगा। राज्य सरकार का दावा है कि इस नीति के तहत राज्य में 36 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा। इससे 10 लाख नए रोजगार पैदा होंगे। इस नीति में विदर्भ अंचल में राज्य वस्त्रोद्योग विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव है। प्रदेश के वस्त्रोद्योग मंत्री सुभाष देशमुख ने कहा कि इस नीति से वस्त्रोद्योग को नई दिशा मिल सकेगी। वस्त्रोद्योग नीति मेक इन महाराष्ट्र की परिकल्पना को आगे ले जाएगी।
रेशम उद्योग के पुनरुद्धार पर जोर
इस नीति से कपास उद्योग मजबूत होगा। रेशम उद्योग का पुनरुद्धार पर जोर दिया जाएगा। राज्य का विभागीय असंतुलन दूर करने में मदद मिल सकेगी। रेशम, ऊन और गैर पारंपरिक धागे के उद्योग से दस लाख नए रोजगार पैदा होंगे। साल 2020 तक पारंपरिक और गैर-पारंपरिक धागे निर्माण के स्रोत से किसानों की आय में दोगुना इजाफा होगा। अपारंपारिक सूत उत्पादन, तैयार कपड़ा बनाने व टेक्निकल टेक्सटाइल क्षेत्र में 5 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। आत्महत्या ग्रस्त इलाकों की सूत मिलों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।
Created On :   7 Feb 2018 9:46 PM IST