चावल तो दे दिया पर दाल कौन देगा सरकार

डिजिटल डेस्क, वर्धा, अमित शामडीवाल। राशन की दुकानों में पहले गेहूं और चावल के साथ दाल का वितरण भी किया जाता था। परंतु कोविड के बाद साल 2021 के जून माह से सरकार की ओर से दाल का वितरण बंद किया गया जबकि चावल के वितरण में इजाफा किया गया। लेकिन लोगों में सवाल बना हुआ है कि एक ओर सरकार ने वितरण में गेहूं से अधिक चावल कर दिया परंतु उसके साथ में खाने के लिए लगने वाली दाल को बंद कर दिया है। इस कारण अंत्योदय और प्राधान्य कार्डधारकों को मिलने वाली दाल से पिछले डेढ़ साल से नहीं मिल रही है। लोगों को भोजन में चावल के साथ खाने में लगने वाली दाल को खरीदकर खानी पड़ रही है। बता दे कि सरकारी राशन दुकानों में लाभार्थियों को कोविड से पहले प्राधान्य वर्ग में 2 किलो चावल प्रति व्यक्ति तथा अंत्योदय के लाभार्थियों को प्रति कार्ड 15 किलो चावल मिलता था। जिसके साथ में खाने के लिए सरकार की ओर से 1-1 किलो तुअर की दाल का पैकेट दिया जाता था। लेकिन वर्तमान में सरकार ने प्राधान्य वर्ग में चावल की मात्रा प्रति व्यक्ति 2 किलो से बढ़ाकर दोगुना यानी 4 किलो कर दिया तथा अंत्योदय वर्ग के कार्ड धारकों को प्रति कार्ड मिलने वाले 20 किलो चावल में इजाफा कर 25 किलो कर दिया। जो कि पूरी तरह से मुफ्त है, लेकिन साल 2021 से कार्ड धारकों को प्रति कार्ड पर मिलने वाली 1 किलो दाल को पूरी तहर से बंद कर दिया गया। इस कारण चावल की मात्रा में वृद्धि होने के बावजूद राशन दुकान से मिलने वाली दाल का वितरण बंद होने से लाभार्थी नाराज दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि जिलेभर में अंत्योदय और प्राधान्य कार्ड धारक समेत कुल 2 लाख 75 हजार 799 कार्ड धारक हैं। इस कारण प्रति कार्ड पर कोविड से पूर्व मिलने वाली दाल प्रति कार्ड पर एक किलो का वितरण होता था। परंतु साल 2021 से दाल का वितरण बंद होने के कारण सरकारी राशन के अंतर्गत सालभर में 33 लाख 9 हजार 588 किलो वितरण की जाने वाली दाल से लाभार्थी वंचित हो गए। सरकार की ओर से सरकारी राशन दुकानों में प्राधान्य और अंत्योदय कार्ड धारकों को मिलने वाला राशन जिसमें गेहूं और चावल को पूरी तहर से मुफ्त में वितरित किया जा रहा है, परंतु दाल का वितरण काफी समय से बंद होने से कार्ड धारक अब सवाल पूछने लगे हैं कि चावल तो दे दिया पर दाल कौन देगा सरकार?
सरकार से प्राप्त अनाज का किया जाता वितरण
विजय सहारे, जिला आपूर्ति अधिकारी तथा उपजिलाधिकारी के मुताबिक इस संदर्भ में सरकार ही नीति तैयार करती है। उनके द्वारा चयनित एजेंसियों से जो अनाज प्राप्त होता है, उसका निर्धारित नीति के अनुसार ही वितरण किया जाता है।
Created On :   1 Feb 2023 7:12 PM IST