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मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने अब संशोधित प्रस्ताव पर विचार कर रही सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मराठी को अभिजात (शास्त्रीय) भाषा का दर्जा दिए जाने की सभी बाधाएं दूर होने के बावजूद केन्द्र सरकार की इस मामले में भूमिका शून्य दिखाई दे रही है। सरकार का कहना है कि मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने के लिए अब वह संशोधित प्रस्ताव पर विचार कर रही है और इस पर निर्णय करने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नही की गई है। दरअसल, राज्यसभा सांसद संभाजी छत्रपती ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार से मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने में हो रही देरी का कारण जानना चाहा था। जबकि मद्रास उच्च न्यायालय ने शास्त्रीयभाषा के संबंध में लंबित सभी याचिकाओं का अगस्त 2016 में ही निपटान कर लिया है। इसके जवाब में केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ महेश शर्मा ने लिखित में यह जानकारी दी है।
शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने की संसद में आवाज उठाई
गौरतलब है कि शिवसेना सहित महाराष्ट्र के अन्य दलों के सांसदों ने समय-समय पर मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने की संसद में आवाज उठाई है। पिछले महीने शिवसेना के सांसदों ने फिर ससंद परिसर में इस मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। संसद में इस मुद्दे पर जब भी सवाल उठाया गया, तब-तब केन्द्रीय संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा द्वारा जवाब में यहीं बताया जाता रहा है कि सरकार इस मामले में सक्रियता से विचार कर रही है। मद्रास उच्च न्यायालय में शास्त्रीय भाषा के संबंध में मसला लंबित होने के कारण इसका फैसला लेने में देरी हो रही है। फैसला आने पर महाराष्ट्र सरकार के मराठी को शास्त्रीय भाषा दिए जाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी जाएगी।
संशोधित प्रस्ताव पर हो रहा विचार
सांसद छत्रपती के सवाल के जवाब में केन्द्रीय राज्यमंत्री ने यह तो माना कि मद्रास उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं का निपटान हो गया है। लेकिन अब उनका कहना है कि मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने के लिए वह संशोधित प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इस मसले पर निर्णय लेने के लिए कोई समय-सीमा तय नही की है।
Created On :   5 April 2018 8:37 PM IST