आदित्य ने कहा कि सरकार की प्रकृति से कटिबद्धता निश्चित करने के लिए इस साल विभाग के माध्यम से 100 करोड़ रुपए की निधि उपलब्ध कराई जाएगी। आदित्य ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की थीम प्रकृति के लिए समय रखा है। इसी के आधार पर सरकार के दूसरे विभागों के साथ जलवायु परिवर्तन से संबंधित उपाय योजना कर प्रकृतिपूरक जीवन पद्धति के लिए एक्शन प्रारूप तैयार किया गया है।
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महाराष्ट्र में बदलेगा पर्यावरण विभाग का नाम, अब इन पांच सिद्धांतों पर होगा काम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार के पर्यावरण विभाग का नाम अब पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग प्रस्तावित किया गया है। राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद पर्यावरण विभाग के नाम में बदलाव होगा। शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रदेश के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे और पर्यावरण राज्य मंत्री संजय बनसोडे ने यह घोषणा की। आदित्य ने कहा कि जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद पर्यावरण विभाग ‘पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग’ के नाम से जाना जाएगा। पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग प्रकृति से संबंधित पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि और आकाश इन पांच सिद्धांतों पर काम करेगा।


पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि व आकाश के लिए कार्य करेगा विभाग
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि विभाग का नाम बदलने के साथ ही विभाग के लक्ष्य और उद्देश्य अधिक व्यापक होंगे। आदित्य ने कहा कि पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि और आकाश पांच सिद्धांतों पर काम करेगा।

इसमें पृथ्वी विभाग के तहत वनीकरण, वनसंवर्धन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सीवेज प्रबंधन समेत अन्य बिन्दुओं पर काम होगा।

हवा विभाग हवा की गुणवत्ता के लिए उद्योग, परिवहन व अन्य विभागों के सहयोग से वायु प्रदूषण कम करने में मदद करेगा।

जल विभाग संबंधित नदियों का संवर्धन, चालू कामों समेत समुद्री जैव विविधता, जलस्त्रोतों के संवर्धन और संरक्षण, समुद्री किनारे की स्वच्छता से जुड़े कार्य करेगा।

अग्नि विभाग उर्जा स्त्रोत के रूप में अन्य विभागों के साथ उर्जा का परिणामकारक इस्तेमाल और बिजली बचत और नुकसान को टालने के लिए काम करेगा। साथ ही अपारंपारिक ऊर्जा निर्माण के लिए महामार्गों के दोनों किनारों की जगह, बंजर जमीन, खेतों की जमीन जैसी जगहों का इस्तेमाल किया जाएगा।

आकाश विभाग आकाश की विभिन्न परिकल्पनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम और दूसरे पहलुओं पर काम करेगा।

आदित्य ने कहा कि प्रकृति के पांच सिद्धांतों को अपनाए बिना जीवन नहीं जिया जा सकता। सरकार यूएनईपी की थीम प्रकृति के लिए समय के परिकल्पना को साकार करने के लिए दूसरे राज्यों, केंद्र सरकार, गैर सरकारी संस्थाओं, पर्यावरणविदों और राज्य के नागरिकों के सहयोग से काम करेगी।
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कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।