अनाथ और परित्यक्त बच्चों में भेदभाव को लेकर सरकार को लगाई कड़ी फटकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अनाथ व परित्यक्त (छोड़े हुए) बच्चे के बीच भेदभाव करने के लिए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दावा किया था कि जो लाभ अनाथ बच्चे को दिए जाते है वह लाभ त्याग हुए बच्चे को नहीं दिए जा सकते है। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि अनाथ व छोड़े हुए बच्चे में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में नौकराशाही कम बल्कि प्रशासन को ऐसे बच्चों के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। इसके साथ ही खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार को दो वयस्क लड़कियों को परित्यक्त होने का प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। इस प्रमाणपत्र से इन लड़कियों को सरकारी योजना का लाभ पाने में आसानी होगी।
खंडपीठ ने नेस्ट इंडिया नामक चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद लड़कियों को प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। बचपन से दोनों लड़किया ट्रस्ट में रह रही है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि सरकार की ओर से जारी किए गए शासनादेश में अनाथ व परित्यक्त बच्चे के बीच अंतर स्पष्ट किया गया है। इसलिए इस मामले में लड़कियों को परित्यक्त होने का प्रमाणपत्र नहीं जारी किया जा सकता है। नियमानुसार जैसे अनाथ बच्चे के लिए आरक्षण का प्रावधान है वैसा प्रावधान परित्यक्त बच्चे के लिए नहीं है। अनाथ बच्चे की देखरेख करनेवाला कोई नहीं होता है। जबकि परित्यक्त बच्चे की देखरेख करनेवाला कोई न कोई होता है।
खंडपीठ ने सरकारी वकील की ओर से दी गई इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि नैतिक रुप से परित्यक्त बच्चे व अनाथ मंन कोई अंतर नहीं होता है। इसलिए सरकार ने जो लाभ अनाथ के लिए तय किए है वहीं लाभ परित्यक्त बच्चे को मिलने चाहिए। आखिर सरकार ने किस आधार पर अनाथ व परित्यक्त बच्चे के बीच अंतर किया है। इसके पीछे के तर्क क्या है। हम इस मामले में प्रशासन से नौकशाही कम और संवेदनशीलता की अधिक अपेक्षा रखते है। क्योंकि परित्यक्त बच्चा जिस स्थिति में होता है उसके लिए वह जिम्मेदार नहीं होता है। अनाथ व परित्यक्त बच्चे के बीच भेदभाव करने से किशोर न्याय कानून से जुड़ा उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। यह सरकार की जिम्मेंदारी है कि वह अनाथ व परित्यक्त बच्चे की देखरेख करे। खंडपीठ ने फिलहाल बाल कल्याण कमेटी को मामले से जुड़ी दो लड़कियों के उस आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है और याचिका पर सुनवाई 22 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   10 Feb 2023 8:18 PM IST