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लॉकडाउन में किन्नरों को भोजन-आवास उपलब्ध कराए सरकार, हाईकोर्ट का प्रधान सचिव को निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना संकट के कारण परेशानी का सामना कर रहे किन्नरों को वित्तीय सहायता, अनाज, आवास व इलाज उपलब्ध कराने की मांग पर राज्य के सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव को निर्णय लेने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह निर्देश किन्नरों के उत्थान के लिए कार्यरत मुंबई निवासी विक्रम शिंदे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में किन्नरों के लिए पेंशन योजना बनाकर उन्हें 6 माह तक प्रति महीने पांच हजार रुपए प्रदान करने व उनके लिए अलग से क्वारेंटाईन केंद्र बनाने की मांग की गई हैं।
इससे पहले अधिवक्ता अदिति सक्सेना ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ को किन्नरों पर कोरोना के कारण पड़े प्रभाव की जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सामाजिक उपेक्षा का दंश झेलनेवाले किन्नरों के सामने जीवनयापन का भयंकर संकट खड़ा है। जिसका केंद्र और राज्य सरकार कोई संज्ञान नहीं ले रही है। इसलिए राज्य सरकार को किन्नरों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने व 6 माह तक राशन प्रदान करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका के अनुसार साल 2011 की जनगणना के मुताबिक महाराष्ट्र में किन्नरों की संख्या 40 हजार थी, जो नौ वर्षों में और बढ़ गई है। आमतौर पर किन्नरों के पास काम के नाम पर भीख मांगना और वेश्यावृत्ति का ही काम होता है। दूसरे क्षेत्र में उन्हें रोजगार ही नहीं दिया जाता। कोरोना के चलते जारी निर्देशों के कारण लॉक डाउन की छूट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।
खंडपीठ ने इन दलीलों व याचिका पर गौर करने के बाद याचिकाकर्ता को किन्नर समुदाय से जुड़ी मांगों के विषय में सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव को एक व्यापक निवेदन देने को कहा और सचिव को एक पखवाड़े के भीतर इस निवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। अदालत ने याचिका समाप्त कर दिया।
Created On :   29 Jun 2020 6:09 PM IST