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मंत्रिमंडल के फैसले- धान कुटाई पर सरकार देगी अतिरिक्त रकम, लॉन्ड्री व्यवसायियों को मिलेगी सस्ती बिजली
डिजिटल डेस्क, मुंबई। न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद योजना के तहत साल 2017-18 में खरीदे गए धान की कुटाई के लिए राज्य सरकार प्रति क्विंटल 30 रुपए देगी। यह केंद्र सरकार द्वारा मंजूर किए गए 10 रूपए प्रति क्विंटल की दर के अतिरिक्त होगा। यानि मिलर्स को धान की कुटाई के लिए प्रति क्विंटल 40 रुपए मिलेंगे। राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को इसके लिए मंजूरी दी। न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद योजना केंद्र सरकार की एक योजना है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य जाहिर करती है। किसानों को इससे कम कीमत पर फसल न बेचनी पड़े इसलिए सरकार किसानों से खुद कृषि उत्पाद खरीदती है। योजना के तहत खरीदे गए धान की कुटाई मिल मालिकों से कराकर मिलने वाला चावल भारतीय खाद्य निगम के पास जमा किया जाता था। केंद्र सरकार की सिफारिशों के मुताबिक वर्ष 2016-17 से राज्यों में विकेंद्रित खरीद योजना शुरू की गई है। कम दर के चलते मिल मालिक धान की कुटाई में देरी करते थे जिसके चलते बड़े पैमाने पर अन्न नष्ट हो रहा था। इसके अलावा कुटाई न होने के चलते राज्य सरकार को भंडारण के लिए भी अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा था। इसी के चलते राज्य सरकार ने प्रति क्विंटल 30 रुपए अतिरिक्त देने का फैसला किया है। साल 2017-18 में खरीदे गए धान की कुटाई के अतिरिक्त खर्च के लिए 7 करोड़ 80 लाख रुपए के बढ़े हुए खर्च को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।
नागपुर में बनेगा राज्यस्तरीय रिसर्च लैब
नागपुर में राज्यस्तरीय जबकि औरंगाबाद, अकोला, धुले और सोलापुर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्तर की विषाणु अनुसंधान व निदान प्रयोगशाला (वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी) बनाई जाएगी। बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत संक्रमण और प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए प्रयोगशालाओं की श्रृंखला तैयार करने की योजना है। इसके तहत नागपुर सरकारी मेडकल कॉलेज व अस्पताल में राज्य स्तरीय प्रयोगशाला बनाने और इसके लिए जरूरी समझौते करने को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही औरंगाबाद, अकोला, धुले और सोलापुर में सरकार मेडिकल कॉलेजों में भी कॉलेज के स्तर की विषाणु अनुसंधान व निदान प्रयोगशाला के लिए जरूरी समझौते किए जा सकेंगे। इस प्रयोगशालाओं का मकसद रोग फैलाने वाले विषाणुओं की पहचान कर जरूरी इलाज के लिए बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करना है। इसके अलावा चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को यहां रोगों से निपटने के लिए प्रशिक्षित भी किया जा सकेगा। कॉलेज स्तर पर बनाई जाने वाली प्रयोगशाला के लिए पांच साल बाद आने वाले खर्च की भी मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा राज्य के दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों में विभागस्तर, राज्यस्तर या कॉलेज स्तर की प्रयोगशालाएं बनाए जाने को केंद्र सरकार की मंजूरी के बात इससे जुड़े फैसले योजना और वित्त विभाग की सहमति से करने को भी कहा गया है। प्रयोगशाला के लिए राज्य सरकार की ओर से समझौते का अधिकार चिकित्सा शिक्षा व अनुसंधान संचालक को दी गई है।
लॉड्री व्यावसासियों को अब मिलेगी सस्ती बिजली
धोबी समाज और लॉड्री व्यवसाय करने वालों की वर्षों पुरानी मांग को मंजूर करते हुए उनके लिए दी जाने वाली बिजली की दरों में कमी करने का फैसला लिया गया है। राज्य के ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया कि धोबी समाज के लोग लंबे समय से बिजली की वाणिज्यिक दर की तुलना से कम दर लागू करने की मांग कर रहे थे। इस संबंध में राज्य सरकार ने महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (एमएआरसी) में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर आयोग ने अभी हॉल ही में एक आदेश जारी किया है। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इस आदेश के अनुसार धोबी/ लॉड्री सर्विवेस के लिए नया स्लैब बनाया गया है। आगामी एक सितंबर 2018 से इस स्लैब में प्रति यूनिट 6 रुपए 6६ पैसे बिजली दर लागू की गई है। इसके पहले धोबी/ लॉड्री सेवा के लिए वाणिज्यिक दर के अनुसार 0 से 200 यूनिट पर प्रति यूनिट 7 रुपए 28 पैसे और 200 यूनिट से अधिक का इस्तेमाल करने पर 10 रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल वसूला जाता था। इसके अलावा जो लोग अपने घरों में ही लॉड्री का व्यवसाय बिजनेस हैं, उनके लिए घरेलू बिजली दर लागू की गई है। घरेलू बिजली दर 0 से 100 यूनिट के लिए 4 रुपए 30 पैसे प्रति यूनिट और 201 से 300 यूनिट पर 8 रुपए 03 पैसे है। बावनकुले ने कहा कि धोबी/ लॉड्री सेवा के लिए बिजली की दर 16 से 42 फीसदी कम हुई है और इसका फायदा धोबी समाज को होगा।
दिव्यांगों को अब मिलेंगी 1 हजार रुपए की आर्थिक सहायता
सरकार ने संजय गांधी निराधार अनुदान योजना व श्रावणबाल सेवा राज्य निवृत्ती वेतन योजना के तहत दिव्यांगों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में बढ़ोतरी के फैसले को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। योजना के लाभ के लिए पात्र परिवार की वार्षिक आय मर्यादा 21 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दी गई है। इसके अनुसार अब 40 से 79 प्रतिशत तक दिव्यांग व्यक्ति को 600 रुपए के बजाय अब प्रति महीने 800 रुपए मिलेंगे। जबकि 80 प्रतिशत व उससे अधिक दिव्यांग व्यक्ति को हर महीने 1 हजार रुपए की आर्थिक मदद मिलेगी। सरकार के इस फैसले का फायदा राज्य के 1 लाख 35 हजार 512 दिव्यांगों को होगा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांग निवृत्तीवेतन योजना में 80 प्रतिशत व उससे अधिक के दिव्यांग व्यक्ति को शामिल किया जाता है। केंद्र सरकार की इस योजना में लाभार्थियों को प्रति महीने 200 रुपए निवृत्ति वेतन दिया जाता है। इस योजना के लाभार्थियों को राज्य सरकार की संजय गांधी निराधार अनुदान योजना के तहत प्रति महीने 400 रुपए दिए जाते हैं। योजना के लाभार्थियों को मिलने वाली कुल 600 रुपए के अनुदान में 400 रुपए की वृद्धि की गई है। इससे लाभार्थी को अब प्रतिमाह 1 हजार रुपए का अनुदान मिल सकेगा। इससे सरकार की तिजोरी पर सालाना 34 करोड़ 13 लाख रुपए का भार पड़ेगा। इससे पहले सोमवार को अमरावती के अचलपुर से निर्दलीय विधायक बच्चू कडू ने विधायक आवास मनोरा में दिव्यांगों के साथ आंदोलन किया था। इस आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें अनुदान की राशि बढ़ाने का आश्वासन दिया था।
Created On :   3 Oct 2018 3:42 PM GMT