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पालकमंत्री हुए सख्त, रिजर्व वाटर की गलत रिपोर्ट देने पर लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मानसून की बेरूखी और तालाबों की स्थिति के बाद बनी आधी-अधूरी व गलत रिपोर्ट पेश करने पर पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने अधिकारियों को फटकार लगाई। रिजर्व वाटर पर सख्त होते हुए उन्होंने पुन: 31 अक्टूबर को बैठक के निर्देश दिए हैं। मानसून खत्म होने के बाद 1 नवंबर को विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल सभी संस्थाओं के लिए नए सिरे से पानी आरक्षण तय करेगी। इस संबंध में जलसंपदा, महानगरपालिका और जिला प्रशासन की संयुक्त बैठक पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुलाई थी।
अधिकारियों द्वारा अधूरी तैयारी के साथ बैठक में पहुंचने से पालकमंत्री खासे नाराज दिखे। बैठक में पानी आरक्षण को लेकर विभागों की कोई तैयारी नहीं दिखी। बैठक में जलसंपदा और मनपा द्वारा दिए गए आंकड़े भी गलत होने का खुलासा हुआ। पानी आरक्षण समिति के सचिव जिलाधिकारी भी नि:शब्द दिखे। आखिरकार पालकमंत्री ने झल्लाते हुए कहा कि शायद अधिकारी भूल रहे हैं कि प्राधिकरण के पास गलत प्रतिज्ञापत्र पेश करने पर अधिकारियों को जेल की सजा का भी प्रावधान है। जिसके बाद पालकमंत्री ने दोबारा 30 अक्टूबर को बैठक बुलाने के निर्देश दिए हैं।
नहीं दे पाए संतोषजनक जवाब
पालकमंत्री बावनकुले द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जलसंपदा विभाग, मनपा और जिला प्रशासन ने भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। शासकीय परिपत्रक की एक भी शर्त का पालन नहीं किया गया। इस दौरान महाराष्ट्र जलसंपत्ति नियामक प्राधिकरण के सामने रखे गए आंकड़े गलत होने का भी संदेह जताया। बावनकुले ने कहा कि पानी आरक्षण का योग्य नियोजन होना चाहिए। पानी का ऑडिट किया जाना चाहिए। शासकीय मापदंड अनुसार आरक्षण पेश करें। पानी आरक्षण अनुसार 40 प्रतिशत रकम एडवांस जमा हुई क्या? क्या बिल न देने वालों पर कार्रवाई की गई? ऐसे अनेक सवालों का जवाब जलसंपदा विभाग नहीं दे सका। प्रारूप का क्रियान्वयन करने वाला जिला प्रशासन भी चुप्पी साधे रहा।
नहीं तैयार किया गया प्रारूप
विधायक सुधाकर देशमुख ने कहा कि सरकार ने पानी आरक्षण का प्रारूप तैयार करने को कहा था, लेकिन वह भी नहीं किया गया। जलसंपत्ति प्राधिकरण के 2017 के निर्देशानुसार अधिकारियों द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं करने का भी खुलासा हुआ। जिस पानी से राजस्व नहीं मिलता, उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बैठक में जवाब देने की बजाए अधिकारी आपस में चर्चा करते हुए दिखे। पालकमंत्री ने शासन के परिपत्रक और जलसंपत्ति नियमन प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्देशों का कितना पालन किया गया, इसका लिखित में जवाब मांगा, लेकिन कोई नहीं दे सका। बैठक में विधायक सुधाकर देशमुख, महापौर नंदा जिचकार, जिप अध्यक्ष निशा सावरकर, विधायक गिरीश व्यास, मल्लिकार्जुन रेड्डी, जोगेंद्र कवाडे, जिलाधिकारी सचिन कुर्वे, मनपा आयुक्त अश्विन मुद्गल व जलसंपदा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
मनपा के पास भी लेखा-जोखा नही
नागपुर महानगरपालिका ने अभी तक पानी बचाने के संबंध में कोई नीति तैयार नहीं की है। यह नीति तैयार होती, तो उसका क्रियान्वयन किया जा सकता था। पानी उपयोग के संबंध में अनुशासन लगाया जा सकता था, लेकिन शहर में पानी बचाने को लेकर मनपा जनजागृति नहीं करती है। पानी का ऑडिट नहीं हुआ है। कितना पानी बर्बाद होता है, कितनी आपूर्ति होती है और कितने पानी की बिलिंग होती है, इसका कोई लेखा-जोखा मनपा के पास नहीं था। शहर से लगे क्षेत्र को जलापूर्ति करने मनपा ने 80 एमएलडी का आरक्षण बढ़ाकर लिया, लेकिन उस क्षेत्र में भी जलापूर्ति नहीं होती है।
Created On :   27 Oct 2017 6:02 PM IST