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देश में बने कुल बांधों में आधे अकेले महाराष्ट्र में, फिर भी दूर नही हुई सिंचाई की समस्या

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में विशेष रुप से विदर्भ और मराठवाडा में पिछले कई वर्षों से किसान जहां सूखे और सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं और आत्महत्या करने पर मजबूर हैं, वहीं बांधों के निर्माण में महाराष्ट्र ने देश में बाजी मारी है। केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार देश में जितने कुल बृहत बांध बनाये गये हैं, उनमें से आधे यानी दो हजार से भी अधिक अकेले महाराष्ट्र में ही बने है। जबकि मध्यप्रदेश सहित पांच बड़े राज्यों में बृहत बांधों की संख्या डेढ़ हजार के लगभग है। केन्द्रीय जल आयोग से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 तक देश में कुल निर्मित बड़े बांधों की संख्या 5254 एवं निर्माणाधीन बड़े बांधों की संख्या 450 थी। इनमें से अकेले महाराष्ट्र में 2069 बड़े बांध बनाए गए और 285 निर्माणाधीन थे। इसके अतिरिक्त छोटे बांध और नहरों की संख्या सैंकड़ों में है। राज्य में वर्ष 2017 में तथा चालु वर्ष में कितने बांधों का निर्माण किया गया इनके आंकड़े आयोग की वेबसाईट पर उपलब्ध नही है।
बड़े बांधों पर पिछले एक दशक से अध्ययन करने वाले सेंटर फॉर साइंस एन्ड एनवायरनमेंट के शोधकर्ता एवं पर्यावरणविद अनिल अश्विनी का कहना है कि देश में बांधों का निर्माण ही मुख्यत: इसलिए किया गया है कि इसके जरिए सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, घरेलू जलापूर्ति की समस्या को दूर किया जाए। अध्ययन में पाया गया है कि बड़े बांधों से केवल औद्योगिक या फिर बड़े किसानों को ही पानी मिल पाता है। वे बताते है कि महाराष्ट्र में हजारों की संख्या में बांध बनाए गए है, लेकिन यहां राज्य सरकार के पास वर्षा जल संचयन के लिए कोई ठोस कार्यक्रम ही नहीं है। हजारों की संख्या में बने बांध के साथ राज्य सरकार हर साल सिंचाई पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। ऐसे में यहां तो खेती को देश में सबसे खुशहाल होना चाहिए था, लेकिन महाराष्ट्र खेती की ग्लोबल ट्रेजडी बन गया है।
वर्तमान में प्रदेश में 26 बड़ी सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन
जल संसाधन नदी विकास मंत्रालय के अनुसार महाराष्ट्र में वर्तमान में निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं में से 26 बड़ी और मध्यम स्तर की है। इन परियोजनाओं से 8.5 लाख हैक्टेयर को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। इनमें से 14 सूखा प्रभावित क्षेत्र में बनाई जा रही है। 8 परियोजनाएं विदर्भ में हैं, जिनसे 4.82 लाख हैक्टेयर खेती को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। जल संसाधन राज्यमंत्री ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि 26 परियोजनाओं में से त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत 5 परियोजनाएं या तो पूरी तरह तैयार हो गई हैं या फिर पूरी होने के कगार पर हैं। बाकी 19 परियोजनाएं दिसंबर 2019 के अंत तक पूरी हो जाएगी और शेष दो परियोजनाएं दिंसबर 2021 तक पूरी होंगी। इसके अलावा उन्होने बताया कि 83 लघु सिंचाई परियोजनाएं और 8 बृहत तथा मध्यम सिंचाई परियोजनाएं भी चल रही है, जिसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा विशेष सहायता दी गई है।
Created On :   24 Dec 2018 9:37 PM IST