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पॉलिटेक्निक शैक्षणिक संस्थानों के चुनावी ड्यूटी से दूर भागने पर हाईकोर्ट नाराज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने विधानसभा चुनाव में चुनावी ड्युटी को लेकर पॉलिटेक्निक शैक्षणिक संस्थानों के असहयोगत्मक रुख पर नाराजगी व्यक्त की है। हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव के दौरान चुनाव आयोग का काम काफी बड़ा हो जाता है। ऐसे में अपेक्षा की जाती है कि यदि आयोग संस्थानों से सहयोग मांगता है तो वे उनके साथ सहयोग करें। हाईकोर्ट में एसोसिएशन आफ मैनेजमेंट आफ पॉलिटेक्निक नामक संगठन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान चुनाव आयोग की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रदीप राजगोपाल ने कहा कि हमे पॉलिटेक्निक के कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी के लिए बुलाने का अधिकार है। जबकि एसोसिएशन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि पॉलिटेक्निक कालेज पूरी तरह से गैर अनुदानित हैं। ऐसे में यहां के कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी की मांग नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यहां के कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी में लगाया जाएगा तो संस्थान का कामकाज पूरी तरह से पंगू हो जाएगा। यहीं नहीं इसका संस्थान में पढनेवाले बच्चों की पढाई पर भी असर पडेगा। इसलिए चुनाव आयोग की की ओर से चुनावी ड्यूटी के लिए पॉलिटेक्निक शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारियों को उपलब्ध कराने की मांग को लेकर भेजी गई नोटिस को रद्द कर दिया जाए।
चुनाव कार्य के लिए सहयोग करे कर्मचारी
याचिका में मुख्य रुप से चुनाव आयोग की ओर से 18 जुलाई 2019 को पालिटेक्निक संस्थानों को चुनावी ड्यूटी के लिए कर्मचारियों की मांग के संबंध में भेजी गई नोटिस पर रोक लगाने व उसे रद्द करने की मांग की गई है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने व याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि चुनावी कामकाज को लेकर पॉलिटेक्निक के कर्मचारियों का ऐसा असहयोग अपेक्षित नहीं है। चुनावी कामकाज में सहयोग प्रदान करने की उनसे अपेक्षा की जाती है। यह कहते हुए खंडपीठ ने कहा कि हम मंगलवार को इस मामले में आदेश जारी करेंगे।
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।