प्रमाण-पत्र नकारने वाली गडचिरोली जाति वैधता पड़ताल समिति के दो सदस्यों पर 1-1 लाख का जुर्माना

HC fined 1-1 lakh rupees on two members of Cast valid inquiry committee
प्रमाण-पत्र नकारने वाली गडचिरोली जाति वैधता पड़ताल समिति के दो सदस्यों पर 1-1 लाख का जुर्माना
प्रमाण-पत्र नकारने वाली गडचिरोली जाति वैधता पड़ताल समिति के दो सदस्यों पर 1-1 लाख का जुर्माना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश में शिक्षा पाने या नौकरी करने के लिए जरुरी जाति वैधता प्रमाणपत्र आवंटित करने वाली जिला जाति वैधता पड़ताल समितियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। समिति के सदस्य ऐसे ऐसे अजीबों गरीब फैसले लेकर जाति वैधता प्रमाणपत्र के दावे खारिज कर रहे है, जो तथ्यहीन ही नहीं बल्कि स्वयं हाईकोर्ट की आदेश के अवमानना करने वाले है। ऐसे ही एक मामले में शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने गडचिरोली जाति वैधता पड़ताल समिति के उपाध्यक्ष सुरेश वानखेडे और सदस्य सचिव जितेंद्र चौधरी पर एक एक लाख रुपए की कॉस्ट लगाई है।

कोर्ट ने उन्हें यह राशी गड़चिरोली जिले स्थित डॉ.अभय बंग की सर्च संस्था को एक सप्ताह के भीतर जारी करने के आदेश दिए। नागपुर के पारडी स्थित डॉ.आंबेडकर स्कूल के शिक्षक किसान चौखे की याचिका पर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने चौखे को तुरंत जाति वैधता प्रमाणपत्र देने के आदेश भी समिति को दिए है।

उल्लेखनीय है कि ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने हाल ही में नागपुर जाति वैधता पड़ताल समिति के सदस्यों पर एक एक लाख का जुर्माना लगाया था। बता दें कि प्रदेश में फर्जी आदिवासियों के मामले सामने आने के बाद पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा और नौकरी में आरक्षित प्रवर्ग का लाभ लेने के लिए जाति वैधता प्रमाणपत्र अनिवार्य किया गया। इसके अनुसार वर्ष 2011 में इंजीनियरिंग की शिक्षा ले रहे किसन चौखे के पुत्र ने गड़चिरोली जाति वैधता पड़ताल समिति के पास माना जाति के वैधता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया।

समिति ने बेटे का दावा खारिज कर दिया। पुत्र ने तत्काल हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने जाति वैधता पड़ताल समिति को पुत्र को माना जाति का वैधता प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश दिए। समिति ने पुत्र को तो प्रमाणपत्र दे दिया। लेकिन समिति ने किसन चौखे का दावा खारिज कर दिया। जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। इस मामले में हाईकोर्ट के निरिक्षण में आया कि जब उन्होंने पूर्व में बेटे को माना जाति का वैधता प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश दिए थे। तो समिति द्वारा पिता को उसी जाति का वैधता प्रमाणपत्र नहीं नकारना चाहिए था। समिति का यह फैसला तर्कहीन है। ऐसे में नाराज हाईकोर्ट ने समिति के सदस्यों को एक एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। याचिकाकर्ता की ओर से एड.सुनील खरे ने पक्ष रखा।

 

Created On :   28 Sep 2018 4:24 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story