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निकाले गए कर्मियों को नहीं मिला वेतन, निधि का अभाव
डिजिटल डेस्क, यवतमाल। राज्य के स्वास्थ्य विभाग में सभी प्रकार के स्वास्थ्य अभियान के लिए पर्याप्त कोष नहीं मिलने से स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है। नियमित कर्मियों को छोड़ा जाए तो सभी प्रकार के कोष को कैची लगाई गई है। जिसमें दवाई खरीद, प्रसिध्दी, सामग्री खरीद, निर्माणकार्य, रंगरोगन आदि का समावेश है। यही नहीं कोरोना के डेढ़ वर्ष में नियुक्त किए गए ठेके के कर्मचारी अधिकारी को भी अभी तक वेतन नहीं दिया गया है। जबकि उनकी सेवा समाप्त कर दी गई है। स्वास्थ्य अभियान में आशा से लेकर सभी कैडर के स्वास्थ्य कर्मी और अधिकारी को वेतन नहीं मिला है। उसी प्रकार मानव विकास शिविर और मजदूरों का समावेश है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग का 75 फीसदी काम स्वास्थ्य अभियान द्वारा मिलने वाले कोष पर निर्भर रहता है। गत 6 माह से इस अभियान के लिए मिलने वाली राशि में बड़ी कटौती की गई है। जिसके कारण सब काम ठप पड़ गए हैं। उसी के चलते कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है। जिले में कोरोना के टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने के लिए कर्मचारियों की जरूरत है। फिर भी तीन माह से उन्हें हटा दिया गया है। हटाए गए कर्मचारियों को अब तक वेतन नहीं मिला है। जो कर्मचारी नियमित रूप से कार्यरत हैं उन्हे भी समय पर वेतन नहीं मिलता है। अब तक इन कर्मियों को अगस्त और सितंबर का वेतन नहीं मिल पाया है। स्वास्थ्यवर्धिनी कार्यक्रम के तहत काम पर आधारित मुआवजा हर माह देने का निर्धारित है। जिसमें समुदाय स्वास्थ्य अधिकारी, नियमित कर्मचारी, ठेकेदारी कर्मचारी अप्रैल माह से विशेष मुआवजे से वंचित हैं। कोरोनाकाल में ठेकेदार और अन्य कार्यों के बिल निकालने के कारण गंभीर स्थिति निर्माण हुई है। इस पर उपाय के रूप में स्वास्थ्य विभाग में 40 फीसदी कर्मचारियों के पद रिक्त होने के बावजूद कोविड टीकाकरण के लिए अतिरिक्त कर्मियों की नियुक्ति नहीं की है। स्वास्थ्य अभियान की 597 नर्सेस राज्य में कम करने का प्रयास किया गया था। मगर स्वास्थ्य कर्मचारी संगठनों ने उस प्रयास को असफल कर दिया। मगर आज स्वास्थ्य अभियान का कोष चक्रव्यूह में फंस गया है। उसी के फलस्वरूप स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है।
स्वास्थ्य विभाग दिवालिया होने की कगार पर
अशोक जयसिंगपुरे, महासचिव म.रा. जिप स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी संघ के मुताबिक राज्य में स्वास्थ्य विभाग दिवालीया होने की कगार पर है। इस विभाग में खरीदी और अन्य बातों पर बड़ा खर्च हुआ है। वेतन का खर्च कम करने का प्रयास राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और अभियान संचालक तथा आयुक्त कर रहे है। उन्हीं के कारण यह स्थिति बनी है। उसी के चलते राज्य सरकार की प्रतिमा धुमिल हो रही है। |
दिवाली के पहले मिल सकता है वेतन : डीएचओ
कोष के अभाव में कुछ दिक्कतें आ रही है। मगर दिवाली के पहले सभी का वेतन मिलने की संभावना है। पीआईपी (प्रोजेक्ट इम्प्लीटेशन प्लेन) में जैसे-जैसे पैसे मिल रहे है उसका काम आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार के पास कोष के अभाव के बारे में पत्र भेजा गया है। उनसे अनुरोध किया गया है कि उक्त कोष शीघ्र भेजा जाए, जैस-जैसे पैसे मिल रहे हंै वैसे-वैसे उन्हें रिलीज कर संबधित कर्मचारियों को दिए जा रहे हंै। राज्य सरकार से पैसे विलंब से आ रहे है। विलंब क्यों हो रहा है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। पैसे के अभाव में कोरोनाकाल में काम कर चुके कर्मियों का वेतन भी लंबित है।
Created On :   12 Oct 2021 6:36 PM IST