महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर सुनवाई फिर एक महीने के लिए टली, 14 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

डिजिटल डेस्क , नई दिल्ली। शिवसेना में विभाजन से उत्पन्न संवैधानिक मुद्दों से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई फिर एक महीने के लिए टल गई। मामले पर अब 14 फरवरी को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट अब इस सुनवाई में तय करेगा कि इस मामले को सात जजों की बेंच को भेजना है या नहीं। मामले पर सुनवाई की शुरुआत में ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने संवैधानिक पीठ से कहा कि नबाम रेबिया मामले के फैसले की सत्यता पर विचार करने के लिए महाराष्ट्र के मामले को सात जजों की बेंच को रेफर करने की आवश्यकता है। उन्होंने पीठ को इस बात से अवगत कराया कि उन्होंने पिछली सुनवाई में इस मामले की सुनवाई के लिए 7 न्यायाधीशों की बेंच की आवश्यकता पर बहस कराने के संकेत दिए थे। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह पांच न्यायाधीशों की पीठ को तय करना है कि मामले को 7 न्यायाधीशों की पीठ को भेजना है या नहीं। सीजेआई ने कहा कि 14 फरवरी को पीठ उसी पर सुनवाई करेगी।
13 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान सिब्बल ने अपनी दलील में नबाम रेबिया मामले में पांच जजों की पीठ के फैसले का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया था कि एक स्पीकर अयोग्यता की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है, जब उसे हटाने का प्रस्ताव लंबित हो। महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष का मामला भी नबाम रेबिया के फैसले से संबंधित है और इसे सात जजों के साथ ही निपटाया जा सकता है। मामले पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संवैधानिक पीठ ने मामले से संबंधित 11 मुद्दों को विचार के लिए तैयार किया है, जिसमें क्या स्पीकर को हटाने का नोटिस उन्हें नबाम रेबिया में संविधान की अनुसूची 10 के तहत अयोग्यता की कार्यवाही से रोखता है। यदि अध्यक्ष का यह निर्णय कि किसी सदस्य को 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य घोषित किया गया, शिकायत की तारीख से संबंधित है तो अयोग्यता के लंबित होने के दौरान हुई कार्यवाही की स्थिति क्या है? सदस्यों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान सदन में कार्यवाही की क्या स्थिति है? आदि शामिल है।
Created On :   10 Jan 2023 9:28 PM IST