16 साल भी पूरी नहीं हो सकी फांसी की सजा की पुष्टि से जुड़ी सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। लोकल ट्रेन बम धमाके के मामले में फांसी की सजा पाए पांच अपराधियों की फांसी की पुष्टि से जुड़ी सुनवाई 16 साल बाद भी बांबे हाईकोर्ट में पूरी नहीं हो पायी है। 11 जुलाई 2006 को मुंबई में पश्चिम रेलवे के विभिन्न स्टेशनों पर सात बम धमाके हुए थे। इस धमाके में 180 लोगों की मौत हो गई थी। सिंतबर 2015 को निचली अदालत ने इस मामले में 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था। इसमें से पांच लोगों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। जबकि सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सोमवार को न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति एमजी सिविलकर की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आया। किंतु खंडपीठ ने फांसी की सजा पर पुष्टि से जुड़ी अपील पर सुनवाई अगले माह तक के लिए स्थगित कर दी और कहा कि उन पर काम का बोझ काफी अधिक है।
नियमानुसार हाईकोर्ट की पुष्टि के बिना फांसी की सजा पुष्ट नहीं मानी जाती है लिहाजा राज्य सरकार ने इस मामले में कोर्ट में अपील दायर की है। जबकि आरोपियों ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है। सोमवार को विशेष सरकारी वकील राजा ठाकरे ने खंडपीठ के सामने कहा कि इस प्रकरण से जुड़े सबूतों के मद्देनजर इस मामले से जुड़ी अपीलों की सुनवाई में कम से कम 6 माह का समय लगेगा। इस पर खंडपीठ ने कहा कि उन पर पहले से काफी बोझ है। इसलिए वे मुख्य न्यायाधीश से इस मामले की सुनवाई के लिए अलग पीठ गठित करने के लिए आग्रह करें।
इस पर श्री ठाकरे ने कहा कि पहले यह मामला न्यायमूर्ति नरेश पाटिल, न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी, व न्यायमूर्ति एसएश जाधव की पीठ के सामने सूचीबद्ध था लेकिन वे आनेवाले समय में शीघ्र सेवानिवृत्त होनेवाले थे। इसलिए मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि पहले हमने इस मामले को सूचीबद्ध करने के लिए आग्रह किया था उसके बाद यह मामला मौजूदा खंडपीठ के सामने आया है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि पहले से हमारे पास काम का काफी बोझ है। इसलिए हम इस मामले की सुनवाई को अगले माह तक के लिए स्थगित करते हैं।
Created On :   11 July 2022 10:12 PM IST