क्रिप्टो करेंसी में 16 हजार लोगों के 113 करोड़ डुबाने वाले को हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत

High court did not provide bail to accused drowned 113 crores in crypto currency
क्रिप्टो करेंसी में 16 हजार लोगों के 113 करोड़ डुबाने वाले को हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत
क्रिप्टो करेंसी में 16 हजार लोगों के 113 करोड़ डुबाने वाले को हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने 15 हजार 810 निवेशकों के क्रिप्टो करेंसी के कारोबार में 113 करोड़ रुपए डुबाने वाले एक गिरोह के दो आरोपियों को जमानत देने से इंकार कर दिया है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी सचिन शेलार व तहा काजी को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों ने जमानत आवेदन में दावा किया था कि वे अमित लखपाल नाम के व्यक्ति द्वारा चलाए जानेवाले फर्म में कार्यरत थे। उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है। क्रिप्टो करेंसी मनी ट्रेड क्वाइन (एमटीसी स्कीम) से जुड़े इस प्रकरण में उनकी कोई भूमिका नहीं है। आरोपियों ने जमानत आवेदन में कहा है कि पुलिस ने ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया है जो यह दर्शाए की वे इस घोटाले के लभार्थी हैं। 

न्यायमूर्ति एसके शिंदे के सामने आरोपियों के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि पुलिस ने मामले को लेकर जो सबूत जुटाए हैं वे उससे पता चलता है कि दोनों आरोपी एमटीसी स्कीम को लेकर शुरुआत से सक्रिय थे। ये दोनों क्रिप्टो करेंसी के रेट पर भी निगरानी रखते थे। अभी भी इस मामले में फारेंसिक ऑडिट किया जाना बाकी है। इसलिए फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता है कि दोनों आरोपी इस मामले से जुड़े घोटाले के लाभार्थी नहीं हैं।  

गौरतलब है कि साल 2018 में प्रवीण अग्रवाल नाम के निवेशक ने ठाणे पुलिस में इस मामले को लेकर शिकायत की थी। इसके बाद इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। पुलिस ने जांच के दौरान पाया था कि फ्लिसटोन नामक समूह ने एमटीसी के जरिए लोगों को ज्यादा फायदे का लालच देकर निवेश के लिए आकर्षित किया था। अग्रवाल ने एमटीसी में दस लाख रुपए का निवेश किया था। ठाणे पुलिस की अपराध शाखा ने दोनों आरोपियों को जून 2018 में गिरफ्तार किया था। 

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सरकारी वकील वीरा शिंदे ने कहा कि आरोपी जिस समूह से जुड़े थे, उसने 15810 निवेशकों को 113.10 करोड़ रुपए का चूना लगाया है। इसके अलावा आरोपी फर्म में साधारण कर्मचारी के रुप में नहीं कार्यरत थे। वे फर्म में महत्वपूर्ण पद पर थे। इन दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने आरोपियों के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया। 

 

Created On :   11 Feb 2021 12:52 PM GMT

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