हाईकोर्ट ने कोचर दंपति को दी अंतरिम जमानत, सीबीआई को लगाई फटकार

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
वीडियोकॉन कर्ज आवंटन मामला हाईकोर्ट ने कोचर दंपति को दी अंतरिम जमानत, सीबीआई को लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने वीडियोकॉन समूह को कर्ज आवंटन से जुड़ी कथित अनियमितता व धोखाधड़ी के मामले में आरोपी आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर व उनके पति दीपक की गिरफ्तारी को कानूनी प्रावधानों के विपरीत मानते हुए उन्हें अंतरिम जमानत पर  रिहा करने का निर्देश दिया है। जबकि इस मामले में विवेक का इस्तेमाल किए बिना गिरफ्तारी में गंभीरता न दिखाने को लेकर सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई है।  कोर्ट ने कोचर दंपति को एक लाख रुपए के मुचलके पर रिहा करने का निर्देश दिया है। सीबीआई ने 23 दिसंबर 2022 को कोचर दंपति को गिरफ्तार किया था। 

गिरफ्तारी का अधिकार है सिर्फ इसलिए न हो गिरफ्तारी

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ ने माना की कोचर दंपति की गिरफ्तारी में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए ( पुलिस अधिकारी के सामने उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी करना), 41 बी (गिरफ्तार करने की प्रक्रिया व गिरफ्तार करनेवाले पुलिस अधिकारी के कर्तव्य) व धारा 60ए (गिरफ्तारी सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुरुप हो) का पालन नहीं हुआ है। इसलिए इनकी रिहाई का आदेश दिया जाता है। खंडपीठ ने अपने 49 पन्नों के आदेश में साफ किया है कि हमारे संविधान में किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को महत्वपूर्ण पहलू  माना गया है। केवल गिरफ्तार करना है सिर्फ इसलिए गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। गिरफ्तारी के अधिकार के प्रयोग से पहले इसके औचित्य पर विचार जरुरी है। बिना किसी ठोस वजह के यदि गिरफ्तारी की जाती है  तो यह किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा व आत्मसम्मान को अपूर्णीय क्षति पहुंचा सकती है। इसलिए केवल गिरफ्तारी का अधिकार मौजूद है इसलिए गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए। इस तरह खंडपीठ ने कोचर दंपति की जमानत पर रिहाई का निर्देश दिया है। 

खंडपीठ ने कोचर दंपति को सीबीआई के साथ जांच में सहयोग करने व जरुरत पड़ने पर समन जारी करने पर सीबीआई के सामने उपस्थित होने को कहा है। इसके साथ ही खंडपीठ ने कोचर दंपति को अपना पासपोर्ट सीबीआई के पास जमा करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने साफ किया कि मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद हमने पाया है कि आरोपियो (कोचर दंपति) की गिरफ्तारी कानूनी प्रावधानों के अनुरुप नहीं की गई है। इसलिए उनकी एक लाख रुपए के मुचलके व एक से अधिक जमानतदार देने पर रिहाई का निर्देश दिया जाता है। सीबीआई ने इस मामले में कोचर दंपति को 23 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था। वर्तमान में कोचर दंपति न्यायिक हिरासत में है। 

इससे पहले दोनों अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए कोचर दंपति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर जमानत पर रिहा किए जाने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान चंदा की ओर से पैरवी करनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने दावा किया था कि सीबीआई ने पहले मेरी मुवक्किल(चंदा) को जुलाई 2022 में समन जारी किया था। इसके बाद मेरी मुवक्किल 8 जुलाई 2022 को सीबीआई के सामने उपस्थित हुई थी। किंतु 23 दिसंबर 2022 को सतही पूछताछ के बाद सीबीआई ने मेरी मुवक्किल को गिरफ्तार कर लिया। आखिर गिरफ्तारी से पहले सीबीआई ने मेरी मुवक्किल को  41ए का नोटिस जारी क्यों नहीं किया। जबकि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत यह जरुरी है। मेरी मुवक्किल ने सीबीआई के साथ जांच में सहयोग किया है। इसके साथ ही सीबीआई को मामले से जुड़े सही तथ्यों की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि मेरी मुवक्किल का 210 पन्नों का बयान लिया गया है। मेरी मुवक्किल ने सीबीआई को 810 दस्तावेज दिए है। मेरी मुवक्किल को अपने पति के कारोबार के बारे में जानकारी नहीं थी। इसके अलावा पुरुष अधिकारी ने मेरी मुवक्किल की गिरफ्तारी की है। याचिका में चंदा कोचर ने दावा किया था कि उन्हें गिरफ्तार करने से पहले भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून की धारा 17ए के तहत सक्षम प्राधिकरण से जरुरी मंजूरी नहीं ली गई थी। वहीं सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजा ठाकरे ने कोचर दंपति की याचिका का कड़ा विरोध किया था। इसके साथ ही कोचर दंपति के खिलाफ की गई कार्रवाई को न्यायसंगत बताया था।

क्या हैं मामला 

इस मामले में आरोप है कि चंदा कोचर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए साल 2012 में वीडियोकॉन समूह को 3250 करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज दे दिए जिसके बदले वीडियोकान समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनियों नुपावर रिन्यूवल, सुप्रीम एनर्जी में 64 करोड़ रुपए का निवेश किया। आरोप है कि फर्जी तरीके से कर्ज मंजूर करने के बदले यह रकम इस तरीके से घूस के तौर पर दी गई। वीडियोकॉन समूह लिया गया कर्ज वापस नही कर पाया और उसे एनपीए घोषित कर दिया गया। चंदा ने 2018 में आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ का पद छोड़ा था। 2019 में सीबीआई ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। 
 

Created On :   9 Jan 2023 8:18 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story