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हाईकोर्ट : सिंचाई घोटाले पर 16 से सुनवाई, अजित को जांच के बाद मिल चुकी है क्लीन चिट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश के बहुचर्चित सिंचाई घोटाले में हाल के घटनाक्रम के बाद अब 16 दिसंबर से मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई शुरू होने जा रही है। मामले में याचिकाकर्ता जनमंच के अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा और अतुल जगताप के अधिवक्ता श्रीधर पुरोहित ने मंगलवार को कोर्ट से मामले की सुनवाई शुरू करने की विनती की थी, जिसे मान्य करते हुए न्यायमूर्ति जेड.ए.हक और न्यायमूर्ति मुरलीधर गिरडकर ने 16 से सुनवाई करने का फैसला किया है। बता दें कि सिंचाई घोटाले को जोरदार तरीके से उठाने वाली तत्कालीन भाजपा सरकार में प्रकरण की जांच करने वाली नागपुर और अमरावती एसीबी ने मुख्य आरोपी अजित पवार को क्लीन चिट दे दी है। वहीं याचिकाकर्ता ने भी इस पर पलटवार करते हुए एसीबी और एसआईटी की कार्यशैली पर अविश्वास जताया है। इस सब के बीच अब 16 से शुरू होने वाली सुनवाई पर प्रदेश भर की निगाहें टिकी हुई हैं।
पवार की लिप्तता नहीं मिली
नागपुर खंडपीठ में प्रस्तुत अपने शपथपत्र मंे एसीबी नागपुर अधीक्षक रश्मि नांदेडकर और एसीबी अमरावती अधीक्षक श्रीकांत धीवारे ने राहत देते हुए बताया है कि सिंचाई घोटाले में अजित पवार के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं बनता है। न ही अपनी जांच में एसीबी ऐसे किसी निष्कर्ष पर पहुंची, जिसमें पवार के ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने की बात सामने आई हो। पवार के जलसंपदा मंत्री होने के कारण घोटाले में उनकी भूमिका की जांच की गई थी। एसीबी के अनुसार जांच समिति ने सभी प्रकार के पहलुओं का अध्ययन किया। समिति के अनुसार वीआईडीसी के कार्यकारी संचालक या विभाग के सचिव की जिम्मेदारी थी कि टेंडर से जुड़े तमाम पहलुओं का अध्ययन करके मंत्री को रिपोर्ट दें और बताएं कि कहां क्या गड़बड़ी है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके टेंडर में कुछ आपत्ति नहीं ढूंढ़ पाने के कारण ऐसे में तत्कालीन मंत्री अजित पवार का सीधे ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने में हाथ था, यह बात सिद्ध नहीं होती। अब तक हुई जांच के अनुसार टेंडर से जुड़ी फाइलों की पड़ताल नहीं की गई। एक कंपनी की ओर से अनेक टेंडर प्रस्ताव भरे गए और कंपनी को ठेका दिया गया। यह सारी लापरवाही प्रशासनिक स्तर पर हुई। इसमें जलसंपदा मंत्री या वीआईडीसी अध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं बनती है।
Created On :   10 Dec 2019 9:24 PM IST