हाईकोर्ट : कदम को चुनाव प्रचार की अनुमति नहीं, अडानी कोयला आयात मामले में लेटर ऑफ रोगेटरी रद्द

High Court : Not allowed campaign to Kadam for election
हाईकोर्ट : कदम को चुनाव प्रचार की अनुमति नहीं, अडानी कोयला आयात मामले में लेटर ऑफ रोगेटरी रद्द
हाईकोर्ट : कदम को चुनाव प्रचार की अनुमति नहीं, अडानी कोयला आयात मामले में लेटर ऑफ रोगेटरी रद्द

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने लोकशाहीर अन्ना भाउ साठे महामंडल के कथित घोटाले के  मामले में आरोपी विधायक रमेश कदम को राहत देने से इंकार कर दिया है। जेल में बंद कदम ने विधानसभा चुनाव में अपना प्रचार करने के लिए जमानत दिए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। शुक्रवार को न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठके सामने कदम की याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान कदम की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल को अदालत  सीमित समय के लिए अपना प्रचार करने की अनुमति दे। शनिवार को चुनाव प्रचार समाप्त होनेवाला है। सरकारी वकील ने कदम को प्रचार के लिए अनुमति दिए जाने की विरोध किया। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कदम को चुनाव प्रचार के लिए राहत देने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि इससे पहले कदम ने सोलापुर के मोहोल विधानसभा सीट से चुनाव का नामांकन पत्र भरने के लिए जमानत के लिए आवेदन किया था। कोर्ट ने इसे मंजूर करते हुए कदम को 3 से 6 अक्टूबर के बीच अपना नामांकन भरने के लिए जमानत प्रदान की थी। अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कदम ने हाईकोर्ट में अपने चुनाव प्रचार के लिए कोर्ट में आवेदन दायर किया था। कदम पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से विधायक थे लेकिन पार्टी ने अब कदम को निकाल दिया है इसलिए वे निर्दलीय  चुनाव लड़ रहे है। कदम पर लगे आरोपों को लेकर पुलिस ने आरोपपत्र दायर कर दिया है। फिलहाल कदम जेल में हैं।

 

अडानी के कोयले के आयात मामले से जुड़ी लेटर ऑफ रोगेटरी को हाईकोर्ट ने किया रद्द

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने इंडोनेशिया से कोयले के आयत के मामले को लेकर राजस्व खुफिया निदेशालय(डीआरआई) की ओर से जांच को लेकर अडानी समूह के खिलाफ दूसरे देशों को भेजी गई लेटर आफ रोगेटरी(एलओआर) को रद्द कर दिया है।  जांच में  दूसरे देशों से सहयोग मिले इसके लिए लेटर आफ रोगेटरी भेजा जाता है। डीआरआई की ओर से एलओआर के रुप में की गई कार्रवाई के खिलाफ अडानी एंटरप्राइजेस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एलओआर जारी करने के संबंध में निर्धारित की गई जरुरी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। लिहाजा हम इसे रद्द करते है। डीआरआई की ओर से अडानी से जुड़ी कंपनियों की जांच को लेकर सिंगापुर,हांगकांग व दुबई को एलओआर भेजा गया था। ताकि डीआरआई को जांच के लिए जरुरी दस्तावेज उपलब्ध हो सके। डीआरआई ने साल 2011 से 2015 के बीच कंपनी के कोयले के आयात से जुड़े मामले की जांच को लेकर साल 2016 में एलओआर जारी की गई थी। जिसे खंडपीठ ने रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि हम मामले को लेकर कुछ नहीं कह रहे है इस याचिका में हमने सिर्फ एलओजी के पहलू को परखा है। 
 

महिला आयोग को अतिरिक्त जगह देने पर विचार करे सरकार

इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार राज्य महिला आयोग को कार्यालय के लिए अतिरिक्त जगह देने पर विचार करे। इसके साथ ही आयोग में रिक्त पदों को भरने की दिशा में भी कदम उठाए जाए। ताकि आयोग अपना कामकाज प्रभावी ढंग से कर सके। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता विहार ध्रुर्वे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया। याचिका में मुख्य रुप से आयोग में रिक्त पड़े सदस्यों के पद को भरने व उसे जरुरी सुविधाएं व संसाधन प्रदान करने के मुद्दे को उठाया गया है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील प्रियभूषण काकडे ने  खंडपीठ के सामने कहा कि आयोग में रिक्त 6 सदस्यों को नियुक्त कर दिया गया है। और इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इस दौरान खंडपीठ ने एक आवेदन पर गौर करने के बाद पाया कि आयोग के लिए 35 पद मंजूर किए गए है लेकिन इसमे से 11 पद अभी रिक्त है। आयोग के प्रभावी कामकाज के लिए रिक्त पदों को भरा जाना जरुरी है। खंडपीठ को बताया गया कि आयोग की ओर से कार्यालय के लिए अतिरिक्त जगह की मांग को लेकर सरकार से आग्रह किया गया है। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सरकार आयोग की ओर से अतिरिक्त जगह की मांग को लेकर दिए गए प्रस्ताव पर विचार करे। और इस संबंध में क्या किया गया। इसकी जानकारी हमे अगली सुनवाई के दौरान दी जाए। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को रखी है। अधिवक्ता एनआर बूबना ने याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखा।  
 

Created On :   18 Oct 2019 8:17 PM IST

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