प्लास्टिक पाबंदी के फैसले पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार

High Court refuses to ban governments decision on plastic restriction
प्लास्टिक पाबंदी के फैसले पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार
प्लास्टिक पाबंदी के फैसले पर रोक लगाने से हाईकोर्ट का इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने से जुड़े सरकार के निर्णय पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। यह आदेश देते समय हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्लास्टिक के चलते पैदा होनेवाले कचरे के चलते पर्यावरण पर पड़नेवाले दुष्प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस दौरान न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति रियाज छागला की बेंच ने कहा कि बीते 23 मार्च से अगले तीन महीने के दौरान किसी भी नागरिक के पास प्रतिबंधित प्लास्टिक उत्पाद पाए जाने पर उसके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।

तीन महीने तक लोगों के खिलाफ न हो कार्रवाई
23 मार्च 2018 को सरकार ने अधिसूचना जारी कर प्लास्टिक के उत्पादन, इस्तेमाल, वितरण, बिक्री व संग्रह पर रोक लगा दिया है। प्रतिबंधित प्लास्टिक उत्पाद में प्लास्टिक के कप प्लेट व चम्मच, प्लास्टिक थैली व बोतल का समावेश है। सरकार ने प्लास्टिक उत्पादकों को अपने पुराने स्टाक खत्म करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया है। सरकार के इस अधिसूचना के खिलाफ प्लास्टिक मैन्यूफैक्चरर एसोसिएशन व अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में सरकार की अधिसूचना को अतार्किक, मनमानीपूर्ण व नियमों के विपरीत बताया गया था। इसके साथ ही कहा गया था कि सरकार की यह अधिसूचना लोगों के जीविका के अधिकार को भी प्रभावित करती है। इसलिए इस अधिसूचना पर रोक लगाई जाए। किंतु बेंच ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।

1200 मैट्रीक टन प्लास्टिक कचरा
बेंच ने कहा कि सरकार के मुताबिक रोजाना प्लास्टिक का 1200 मैट्रीक टन कचरा पैदा होता है, जिसे नष्ट करना बड़ी चुनौती है। प्लास्टिक के कचरे के कारण पर्यावरण पर पड़ने वाले खराब असर को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही प्लास्टिक इको सिस्टम वाले दूसरे जीव जंतुओं के साथ इंसान के लिए भी खतरनाक है। बेंच ने कहा कि उन्हें सरकार की अधिसूचना अतार्किक प्रतीत नहीं हो रही। यह अधिसूचना मौलिक अधिकारों का हनन नहीं करता। इस दौरान बेंच ने कहा कि हम इस बात को तय नहीं कर सकते कि कांच पर्यावरण के लिए घातक है या प्लास्टिक क्योंकि हम इसके विशेषज्ञ नहीं हैं।

प्लास्टिक उत्पादक सरकार के पास रखे अपने पक्ष
हाईकोर्ट ने प्लास्टिक निर्माताओं को कहा है कि वे अपनी बाते सरकार के पास रखे और सरकार उनकी बातों पर गौर करने के बाद पांच मई तक अपना फैसला सुनाए। बेंच ने कहा कि सरकार ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि वह उसके फैसले से प्राभावित होनेवाले लोगों की बाते सुनने के लिए तैयार है और अपनी अधिसूचना पर जरुरी संसोधन के लिए भी विचार करने के लिए तैयार है। 
 

Created On :   13 April 2018 1:46 PM GMT

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