हाईकोर्ट : टीआरपी मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से इंकार, राज्य सरकार ने की थी मांग 

High court: Refuses to ban media coverage of TRP case, state government demands
हाईकोर्ट : टीआरपी मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से इंकार, राज्य सरकार ने की थी मांग 
हाईकोर्ट : टीआरपी मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से इंकार, राज्य सरकार ने की थी मांग 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट से आग्रह किया कि रिपब्लिक टीवी व अन्य दूसरे न्यूज चैनल्स को टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) मामले में शुरु मीडिया ट्रायल पर रोक लगाई जाए। बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने कहा कि फिलहाल हम इस पडाव पर मामले की रिपोर्टिंग करने पर रोक से जुड़ा आदेश नहीं जारी कर सकते हैं। हाईकोर्ट में रिपब्लिक टीवी न्यूज चैनल को चलानेवाली एआरजी आउटलर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मुख्य रुप से मुंबई पुलिस की टीआरपी मामले की जांच पर रोक लगाने व जांच को सीबीआई को सौपने की मांग की गई है। 

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यूज चैनल टीआरपी प्रकरण को लेकर समानांतर जांच के साथ ही मीडिया ट्रायल कर रहे हैं। जबकि मामला न्याय प्रविष्ट है फिर भी गवाहों को बुलाया जा रहा है और बयानो को उजागर किया जा रहा है। इसलिए कम से कम अगली सुनवाई तक मामले की रिपोर्टिंग पर रोक लगाई जाए। 

वहीं रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि चैनल पर लगाया गया समानांतर जांच का आरोप विभिन्न अदालतों में दायर याचिकाओं में उठाया गया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने भी एक ऐसी ही याचिका दायर की गई है। जिस पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इसलिए हमारा आग्रह है कि खंडपीठ इस मामले में कोई आदेश जारी न करे। क्योंकि उनके मुवक्किल अपनी जिम्मेदारी से भलीभांती परिचित हैं। उन्होंने खंडपीठ से आग्रह किया कि उन्हें याचिका में बदलाव करने की इजाजत दी जाए जिससे वे याचिका में टीआरपी मामले को लेकर दायर आरोपपत्र को चुनौती दे सके। 

खंडपीठ ने पोंडा के इस आग्रह को स्वीकार करते हुए उन्हें याचिका में बदलाव करने की अनुमति दे दी और प्रकरण को लेकर चैनलो कि रिपोर्टिंग पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। मामले की सुनवाई 2 दिसंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी गई है। 

वहीं हंसा रिसर्च ग्रूप की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि कंपनी से जुड़े लोगों को उनका बयान दर्ज करने के लिए सप्ताह में सिर्फ दो ही दिन बुलाया जाए। खंडपीठ ने इस मामले को लेकर अपने पुराने आदेश को कायम रखा है। कंपनी ने याचिका में पुलिस पर परेशान करने का आरोप लगाया है और जांच को सीबीआई को सौपने की मांग की है। हंसा रिसर्च टीआरपी मामले में शिकायतकर्ता है। पिछले महीने यह मामला प्रकाश में आया था।

टीआरपी घोटाले की आरोपी मुखर्जी को कर्नाटक हाईकोर्ट से मिली ट्रांजिट जमानत

टीआरपी घोटाले में आरोपी रिपब्लिक चैनल की चीफ ऑपरेटिंग ऑफीसर (सीओओ) प्रिया मुखर्जी को कर्नाटक हाईकोर्ट से राहत मिली है। अदालत ने प्रिया को 20 दिन की ट्रांजिट जमानत दे दी है। इस अवधि में मुंबई पुलिस मुखर्जी को गिरफ्तार नहीं कर सकेगी। मंगलवार को दायर आरोपपत्र में मुखर्जी को मुंबई पुलिस ने फरार आरोपी बताया था। मुंबई पुलिस प्रिया से दो बार पूछताछ कर चुकी है। जिसके बाद गिरफ्तारी के डर के चलते उन्होंने ट्रांजिट जमानत के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिस पर उन्हें बुधवार को राहत मिली। मुखर्जी के वकील ने अदालत को बताया कि दो बार समन मिलने के बाद वे मुंबई पुलिस के सवालों के जवाब देने पहुंची। इसके बाद उन्होंने मुंबई पुलिस को इस बात की जानकारी दी कि वे अपने माता-पिता से मिलने बेंगलुरू जा रहीं हैं। इसके बावजूद मुंबई पुलिस ने उनका पीछा किया और बेंगलुरू में उन्हें दो नोटिस दिया गया। मुखर्जी ने यह भी दावा किया कि उन पर अर्णब के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। मुंबई पुलिस की ओर से दावा किया गया कि मुखर्जी ने बांबे हाईकोर्ट में भी इसी तरह की अर्जी दी है इसलिए यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस दौरान मुखर्जी मुंबई की अदालत में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल कर सकेंगी। इस मामले में मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के डिस्ट्रिब्यूशन हेड घनश्याम सिंह समेत 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।   
 

Created On :   25 Nov 2020 4:07 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story