हाईकोर्ट ने कहा- आदिवासी इलाकों के हालात एक या दो दिन में नहीं लगातार प्रयास से बदलेंगे

High Court said - the situation of tribal areas will not change in a day or two with continuous efforts
हाईकोर्ट ने कहा- आदिवासी इलाकों के हालात एक या दो दिन में नहीं लगातार प्रयास से बदलेंगे
कुपोषण से मौत का मामला हाईकोर्ट ने कहा- आदिवासी इलाकों के हालात एक या दो दिन में नहीं लगातार प्रयास से बदलेंगे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य के आदिवासी इलाकों से जुड़ी परेशानी का समाधान एक या दो दिन में नहीं होगा। इसके लिए लगातार प्रयास करते रहना पड़ेगा। हाईकोर्ट ने यह बात मेलघाट इलाके में बच्चों की कुपोषण व स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में होनेवाली मौत को लेकर डाक्टर राजेंद्र बर्मा व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा है कि मेलघाट इलाके में बच्चों की मौत को लेकर आईपीएस अधिकारी व डाक्टर छेरिंग दोरजे की रिपोर्ट में दी गई किन सिफारिशों पर अमल हुआ है और किन सिफारिशों पर अमल होना बाकी है। इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता बी.साने ने न्यायमूर्ति एके मेनन व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने कहा कि आदिवासी इलाकों में अप्रैल 2022 से मई 2022 के बीच शून्य से 6 साल के 39 बच्चों की मौत हुई है। इनमें से कुछ बच्चों की मौत गर्भ में ही हो गई। अभी भी आदिवासी इलाकों में बच्चों व महिलाओं के डाक्टर नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव है। नंदुरबार व पालघर इलाके की स्थिति ठीक नहीं है। इन इलाकों में कुपोषण से बच्चों की मौत हो रही है। उन्होंने बताया कि अब तक इस मामले को लेकर कोर्ट में 13 रिपोर्ट पेश की जा चुकी है। जिसमें कई लोगों की रिपोर्ट का समावेश है। लेकिन राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समनव्य के अभाव में जमीनी स्तर पर हालात नहीं सुधर रहे है। सरकार ने गर्भवति महिला के भोजन के लिए अमृत आहार योजना शुरु की है। इसके तहत एक महिला के भोजन के लिए सरकार ने 35 रुपए का प्रावधान किया गया है। क्या यह रकम पर्याप्त है। कोर्ट की निगारीन के बाद मेलघाट में बच्चों की मौत का आंकड़ा कम हुआ पर अब स्थिति फिर बिगड़ रही है।  इस दौरान खंडपीठ को बताया गया कि कोर्ट ने आदेश दिया था कि आदिवासी इलाकों के जिलाधिकारी ऐसे इलाकों का दौरा करे लेकिन कोई जिलाधिकारी दौरे पर नहीं आता है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि आदिवासी इलाकों के परेशानी का समाधान एक व दो दिन में नहीं होगा इसके लिए लगातार प्रयास करना होगा। इससे पहले सरकारी वकील पीपी काकडे ने कहा कि सरकार आदिवासी इलाकों की दिक्कतों को दूर करने के लिए काफी ठोस कदम उठाए है।  खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले से जुड़े सभी पक्षकारों को बैठक कर आदिवासी इलाकों की परेशानी को कैसे दूर किया जा सकता है इसको लेकर सुझाव देने को कहा है। 

 

Created On :   4 July 2022 7:35 PM IST

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