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हाईटेंशन लाइन पर हाईकोर्ट सख्त, कहा - लगाएं इनसुलेटर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हाईटेंशन लाइन के समीप हुए निर्माणकार्य से शहर में लगातार मृत्यु हो रही है। इस मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सू-मोटो जनहित याचिका दायर कर रखी है। इस पर सुनवाई हुई, जिसमें विशेष समिति ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट और सिफारिशें हाईकोर्ट को बताई है। अपनी रिपोर्ट में समिति ने हाईकोर्ट को जानकारी दी कि उन्होंने 31 मई 2019 तक दो-तिहाई शहर का सर्वे पूरा किया। इस 126 हाईवोल्टेज फीडर्स का आकलन हुआ, जिसमें 3,934 परिसरों में बिजली नियमों को उल्लंघन होता पाया गया। इसमें 3100 रिहायशी, 650 व्यावसायिक और 122 औद्योगिक इकाइयां प्रमुखता से शामिल है। इसमें से 90 प्रतिशत लोगों ने मंजूर प्रारूप का उल्लंघन करके निर्माणकार्य किया है।
ये समाधान
- बिजली के तारों से हो रहे हादसों को रोकने के लिए समिति ने कुछ सुझाव दिए हैं-
- हाईटेंशन लाइन की दिशा बदली जाए
- लाइन को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए
- हाईटेंशन लाइन को इनसुलेटर लगाया जाए
- अंडरग्राउंड केबलिंग की जाए
- अनधिकृत निर्माणकार्य का एक हिस्सा गिराया जाए
निर्माणकार्य तोड़ना उपाय नहीं
समिति ने साफ किया है कि वे सबसे कम खर्च वाला कदम उठाने के पक्ष में हैं। अंडरग्राउंड केबलिंग का खर्च करोड़ों में होगा, समिति ने साफ किया है कि अवैध निर्माणकार्य गिराने को वे सबसे अंतिम विकल्प के रूप में देखते हैं। वहीं जनसुनवाई में कई घर मालिकों ने हाईटेंशन लाइन में सुधार के लिए आर्थिक सहयोग देने की भी तैयारी जताई है।
ये हैं जिम्मेदार
शहर में बगैर सोचे-समझे हुए इस विकास के लिए समिति ने नासुप्र और मनपा काे काफी हद तक जिम्मेदार बताया है। वहीं, अनधिकृत निर्माणकार्यों में बिजली आपूर्ति करने के लिए महावितरण और एसएनडीएल भी जिम्मेदार है। मई 2011 के पूर्व महावितरण ने 2700 अनधिकृत निर्माणकार्यों में और इसके बाद एसएनडीएल ने 1200 अनधिकृत निर्माणकार्यों में बिजली आपूर्ति की है। ऐसे में नागरिकों के साथ स्थानीय संस्थाएं भी इसकी जिम्मेदार हैं। सुधारकार्य के लिए नागरिकों और उक्त संस्थाओं से भरपाई वसूली जानी चाहिए। समिति का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 18 जुलाई को रखी है। मामले में एड.श्रीरंग भंडारकर न्यायालयीन मित्र की भूमिका में है। मनपा की ओर से एड.सुधीर पुराणिक ने पक्ष रखा।
Created On :   10 July 2019 12:02 PM IST